मेरठ। इन-स्पेस, इसरो, एआईसीटीई,एमआईटी मेरठ और इंद्रप्रस्थ इंजीनियरिंग कॉलेज साहिबाबाद के संयुक्त प्रयासों से कृषि क्षेत्र में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी पर पांच दिवसीय लघु अवधि पाठ्यक्रम का समापन हुआ।
इस दौरान कार्यक्रम के समापन सत्र में इन-स्पेस के संवर्धन निदेशालय के निदेशक डॉ. विनोद कुमार, डॉ. वी.एम चौधरी, समूह निदेशक, एनआरएससी/इसरो, डॉ. राजेंद्र सिंह, निदेशक शोध एवं विकास, एमआईटी, मेरठ (पूर्व वैज्ञानिक आईएआरआई/आईसीएआर), एमआईटी के वाइस चेयरमैन पुनीत अग्रवाल और इन-स्पेस के पीआर गौरव कुमार ने सभी प्रतिभागियों को पाठ्यक्रम पूर्णता प्रमाण पत्र प्रदान किये।
पाठ्यक्रम समन्वयक डॉ. राजेंद्र सिंह ने बताया कि देश भर से स्टार्टअप,शोध छात्र, शिक्षाविद् और उद्योग जगत से 40 से अधिक शिक्षकों ने पाठ्यक्रम में भाग लिया। कार्यक्रम में 5 दिनों तक वरिष्ठ वैज्ञानिकों एवं शिक्षाविदों ने फसल क्षेत्र का अनुमान एवं उत्पादन पूर्वानुमान, कृषि भूमि निगरानी, हानिकारक कीट रोग का पता लगाना एवं घटना का पूर्वानुमान, फसल प्रणाली विश्लेषण, मृदा मानचित्रण एवं निगरानी, कृषि सुखा आकलन एवं निगरानी, बागवानी सुखा आकलन, जल संसाधन निगरानी आदि विषयों पर चर्चा की। इस पाठ्यक्रम में पौधों में पोषक तत्वों की कमी के लक्षणों के अध्ययन, सटीक कृषि के लिए सेंसिंग तथा विश्लेषण में प्रगति और फाइटोट्रॉन प्रौद्योगिकी के मौलिक अनुप्रयोगों जैसे विषय भी शामिल हैं। इसमें कृषि के व्यावहारिक पहलुओं पर ध्यान केंद्रित किया गया है, जिसमें मिट्टी का नमूना लेना, मिट्टी का प्रसंस्करण, ड्रोन और रोबोट प्रदर्शन और मिट्टी के विश्लेषण के तरीके शामिल हैं।
इन-स्पेस के संवर्धन निदेशालय के निदेशक डॉ. विनोद कुमार ने कहा की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में भारत सरकार ने अंतरिक्ष क्षेत्र में ऐतिहासिक सुधार शुरू किए हैं। इन अंतरिक्ष सुधारों का उद्देश्य निजी क्षेत्र की भागीदारी के माध्यम से भारत को वैश्विक स्तर पर अग्रणी अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था बनाना है। इस प्रकार के पाठ्यक्रम से हमारे किसानों को अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी से जोड़कर फायदा मिलेगा।इस दौरान पुनीत अग्रवाल, डॉ राजेंद्र सिंह, वंदना यादव, अजय चौधरी, गौरव अग्रवाल, अखिल गौतम आदि का योगदान रहा।