मेरठ । उर्दू विभाग, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ और अंतर्राष्ट्रीय युवा उर्दू लेखक एसोसिएशन के संयुक्त तत्त्वावधान में आयोजित होने वाली साप्ताहिक ऑनलाइन संगोष्ठी ‘अदबनुमा’ के अंतर्गत “लोक साहित्य और कबीर दास” विषय पर कार्यक्रम आयोजित किया गया। अपने अध्यक्षीय भाषण में जर्मनी के विद्वान और आलोचक जनाब आरिफ नकवी ने कहा कि कबीर सदैव एकता की बात करते थे। कबीर के मन में हिंदू, मुस्लिम नहीं बल्कि मानवता जीवित थी। हिंदू, मुस्लिम, सिख यानी सभी धर्म और संप्रदाय के लोग उनके प्रति बहुत सम्मान रखते थे। हमें ऐसे कवियों के बारे में अधिक बात करनी चाहिए जिन्होंने दुनिया को प्रभावित किया है। हमें कबीर की शिक्षाओं का प्रसार करना चाहिए। उनकी भाषा में हिंदी, पंजाबी, फ़ारसी, भोजपुरी और उर्दू के शब्द व्यापक रूप से पाए जाते हैं।
कार्यक्रम की शुरुआत सईद अहमद सहारनपुरी ने पवित्र कुरान की तिलावत और एम.ए. द्वितीय वर्ष की छात्रा फरहत अख्तर की नात से हुई। डॉ. विद्यासागर, (हिन्दी विभाग), डॉ.अजय मालवीय, इलाहाबाद ने ऑनलाइन प्रतिभाग किया। संचालन रिसर्च स्कॉलर उज़मा सहर और धन्यवाद रिसर्च स्कॉलर शहनाज़ परवीन ने अदा किया।
विषय प्रवर्तन करते हुए डॉ. इरशाद स्यानवी ने कहा कि साहित्यिक इतिहास में कई महत्वपूर्ण व्यक्तित्व हुए हैं जिन्होंने अपने अनुकरणीय जीवन और महत्वपूर्ण उपलब्धियों से समाज में फैली बुराइयों को दूर किया। ऐसे ही महत्वपूर्ण व्यक्तित्वों में कबीर दास का नाम भी सामने आता है। कबीर दास ने अपने उपदेशों से पूरी दुनिया को मानवता का संदेश दिया। वह धर्म और राष्ट्र के भेदभाव के बिना सभी के कल्याण की बात करते थे। उन्होंने वर्ग संघर्ष को दूर करने पर बहुत जोर दिया। इस अवसर पर इलाहाबाद से डॉ. अजय मालवीय ने कबीर दास पर “महानतम सूफी कवि” कबीर दास का काव्यात्मक अर्थ और उर्दू विभाग की प्रवक्ता डॉ. अलका वशिष्ठ ने लोकनायक कबीरदास पर अपने सारगर्भित लेख प्रस्तुत किए।
उर्दू विभाग के अध्यक्ष प्रो. असलम जमशेदपुरी ने कहा कि कबीर दास ने लोगों के लिए जो किया वह हम सभी के लिए सम्मान का पात्र हैं। कबीर जनता के बहुत करीब थे। उनकी पूरी शायरी में ऐसे तत्त्व मौजूद हैं जो लोगों को शांति, आपसी एकता और भाईचारे के सूत्र में पिरोने का काम करते हैं।
डॉ. विद्यासागर ने कहा कि कबीर ने हिंदू मुसलमानों में व्याप्त उन बुराइयों को दूर किया जो आम आदमी के लिए परेशानी का कारण बन रही थीं। साहित्य में कबीर को पूरे साहस के साथ सत्य बोलने वालों में अग्रणी माना जाता है। वे धर्म और राष्ट्रीयता, ऊंच-नीच, ऊंच-नीच, छुआछूत की परवाह किए बिना हर वर्ग के लिए चिंतित थे और जीवन भर उन्होंने सत्य, शांति और प्रेम की शिक्षा दी। हालाँकि उस युग के राजा-महाराजाओं ने उन्हें दबाने की बहुत कोशिश की, लेकिन वे हमेशा साहसपूर्वक सही और सीधे रास्ते पर खड़े रहे और अंत तक सभी को मानवता की शिक्षा दी। अगर यह कहा जाए कि कबीर दास ने पूरी दुनिया को मानवता की शिक्षा दी तो यह गलत नहीं होगा। प्रसिद्ध पत्रकार कामरान जुबेरी ने भी अपनी राय व्यक्त की।
कार्यक्रम में डॉ.आसिफ अली, डॉ. शादाब अलीम, मुहम्मद शमशाद, नुज़हत अख्तर, लाइबा आदि छात्र-छात्राएं ऑनलाइन जुड़े हुए थे।