मेरठ। परतापुर पुलिस के खेल को गांजा तस्करी के आरोप में पकड़े गए दो युवकों ने भरी अदालत में खोल दिया। न्यायालय ने पकड़े गए दोनों युवकों के बयानों की सच्चाई जानने के लिए पुलिस से युवकों की गिरफ्तारी की सीसीटीवी फुटेज मांगी है। साथ ही कोर्ट ने आदेश में ये भी कहा है कि थानेदार ये न कहें कि सीसीटीवी खराब है या फुटेज नहीं है। अगर थानेदार ने ऐसा कहा तो उन्हीं के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी । वहीं कोर्ट का आदेश तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इस आदेश पर पुलिस की काफी किरकिरी हो रही है।
बतादें लिसाड़ी गांव के रहने वाले आहिल पुत्र सुलेमान और सुहेल पुत्र पप्पू पर गांजा बरामदगी का आरोप था। इन्हें रिमांड पर लेने के लिए केस के विवेचक परतापुर थाने के एसआई मोहित सक्सेना ने 3 फरवरी को मेरठ के अपर सत्र न्यायाधीश कोर्ट संख्या 14 (एनडीपीएस एक्ट) में पेश किया। इसमें पुलिस ने दोनों युवकों को 3 फरवरी 2024 को 11 बजकर 10 मिनट पर 1100-1100 ग्राम गांजे के साथ गिरफ्तार होना बताया।
जब कोर्ट ने पकड़े गए दोनों युवक आहिल, सुहैल से पूछताछ की तो दोनों ने बताया कि पुलिस ने उन्हें शुक्रवार 2 फरवरी की शाम 7 बजे पैंठ बाजार से अनार के ठेले से उठाया था। रात भर दोनों को अवैधानिक तरीके से थाने पर रखा। उनके पास पुलिस ने खुद गांजा रखवाकर उन्हें मुकदमे में आरोपी बनाकर एफआईआर लिख ली।
युवकों ने कोर्ट को बताया,” उनके साथ चित्ती और फईम दो लोग भी मौजूद थे। लेकिन संबंधित पुलिसवालों ने उन दोनों को पैसे लेकर छोड़ दिया। जबकि हम दोनों को रात भर थाने में बैठाए रखा। फर्जी बरामदगी दिखाई। एसआई मनोहर लाल, हेड कॉन्स्टेबल अंकित कुमार, हेड कॉन्स्टेबल अनुज कुमार, हेड कॉन्स्टेबल चंद्रवीर उन्हें गिरफ्तार करके लाए थे।
दोनों आरोपियों के बयानों के आधार पर कोर्ट ने 3 फरवरी से 5 फरवरी तक की उनकी रिमांड को मंजूर कर दिया। परतापुर थानाध्यक्ष और विवेचक को बेहद सख्त आदेश दिए हैं। कोर्ट ने आदेश में लिखा कि दोनों आरोपियों की गिरफ्तारी करने वाले पुलिसकर्मियों की 2 फरवरी से 3 फरवरी तक की मोबाइल लोकेशन पेश की जाए।साथ ही थाने की 2 फरवरी से 3 फरवरी दोपहर 2 बजे तक की सीसीटीवी फुटेज कोर्ट को दिखाई जाए। इतना ही नहीं सीओ ब्रहम पुरी के सीयूजी नंबर पर कॉल करने की डिटेल का मोबाइल स्क्रीनशॉट भी पेश करें।
वहीं न्यायालय ने आदेश में यह भी साफ तौर पर लिखा कि थाने से अगर यह रिपोर्ट मिली कि सीसीटीवी खराब थे, या फुटेज वेस्ट हो गई, कोई भाग डिलीट हो गया तो संबंधित थानाध्यक्ष के खिलाफ एक्शन होगा। धारा 58 एनडीपीएस एक्ट की कार्यवाही भी अमल में लाई जाएगी।इसलिए विवेचक उस अवधि की सीसीटीवी फुटेज कोर्ट में प्रस्तुत करें। आरोपियों ने कोर्ट के सामने ये भी कहा कि वो बहुत गरीब हैं, इसलिए उन्हें सरकारी खर्च पर वकील दिया जाए जो उनका केस लड़ सके। दोनों युवकों को वकील भी पैरवी के लिए दिया गया है।