अलग खालिस्तान देश के समर्थक अमृतपाल सिंह को पकड़ने के लिए पंजाब पुलिस की ओर से शुरू किए गए अभियान के अगले दिन 19 मार्च को लंदन स्थित भारतीय उच्चायोग के बाहर एक विरोध प्रदर्शन हुआ. उस दौरान उच्चायोग की पहली मंजिल की बालकनी में फहरा रहे भारतीय झंडे को एक व्यक्ति ने नीचे खींच लिया.
उसके अगले दिन, खालिस्तान समर्थकों ने अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में भारतीय वाणिज्य दूतावास में तोड़-फोड़ की और अमृतपाल सिंह के पुलिस हिरासत में होने का दावा करते हुए उन्हें रिहा करने की मांग की. उधर ऑस्ट्रेलिया और कनाडा में भी इसी तरह के विरोध प्रदर्शन देखे गए.
इस तरह, दुनिया के कई देशों में सिख प्रवासियों के विरोध प्रदर्शनों को देखते हुए एक सवाल उठता है कि क्या अलग खालिस्तान देश बनाने की मांग अब बढ़ रही है?
पंजाब पुलिस के तलाशी अभियान शुरू होने के 36 दिन बाद 23 अप्रैल को अमृतपाल सिंह आखि़रकार गिरफ़्तार कर लिए गए. ख़ुद को उपदेशक बताने वाले और ‘वारिस पंजाब दे’ संगठन के मुखिया पर पुलिस ने कई आरोप लगाए हैं.
उन पर वैमनस्य फैलाने, धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी बढ़ाने, हत्या का प्रयास करने, आपराधिक धमकी देने, सरकारी सेवक को ड्यूटी करने में बाधा डालने, ज़बरन वसूली करने जैसे कई आरोप लगाए गए हैं. साथ ही राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून (एनएसए) के तहत मामले दर्ज किए गए हैं.
समर्थन बढ़ा या नहीं पता करना मुश्किल
अमृतपाल सिंह इस साल फ़रवरी में सुर्खियों में आए थे. उस समय उनके सैकड़ों समर्थक जिनमें से कुछ तलवारों से लैस थे, अमृतसर ज़िले के अजनाला के एक थाने पर धावा बोला था. उनका दावा था कि पुलिस ने उस शख़्स को एक झूठे मामले में हिरासत में लिया था.
समर्थन बढ़ा या नहीं पता करना मुश्किल
अमृतपाल सिंह इस साल फ़रवरी में सुर्खियों में आए थे. उस समय उनके सैकड़ों समर्थक जिनमें से कुछ तलवारों से लैस थे, अमृतसर ज़िले के अजनाला के एक थाने पर धावा बोला था. उनका दावा था कि पुलिस ने उस शख़्स को एक झूठे मामले में हिरासत में लिया था.