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मेरठ के चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के कैंपस में स्थित सर छोटू राम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी के छात्र अविरल को 22 लाख रुपया सालाना का पैकेज मिला है। बीटेक आईटी के स्टूडेंट अविरल मूल रूप से गोरखपुर के रहने वाले हैं। अब से पहले इतना भारी भरकम पैकेज यहां के किसी छात्र का नहीं लगा था। Q news india से खास बातचीत में अविरल ने कई खुलासे भी किए और आगे के सपनों के बारे में भी विस्तार से बातचीत की।
अविरल ने बताया कि वह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के घर के बगल में ही गोरखपुर में उनका घर है। अविरल ने बताया कि उसके पिता अजय कुमार अस्थाना बीएसएफ में हैं और वर्तमान में श्रीनगर में तैनात हैं । जबकि उनकी मां नूतन अस्थाना गृहणी हैं।, भाई का नाम अभिनव अस्थाना हैं जो कि NIT राउरकेला सेरेमिक इंजीनियरिंग में जॉब कर रहे हैं। बहन का नाम अनन्या अस्थाना हैं जो कि बीबीए कर रही हैं।अविरल ने बताया कि गोरखपुर के स्प्रिंगर पब्लिक स्कूल से उनकी पढाई हुई। 2016 में अविरल ने हाईस्कूल उसके बाद 18 में बारहवीं की ओर उसके बाद एक साल वह यही सोचते रहे कि क्या करें क्या न करें। एक साल के बाद 2019 AKTU के जरिए चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के सर छोटूराम इंजीनियरिंग कॉलेज से आईटी में बीटेक की पढ़ाई कर रहे हैं। उनका आखिरी सेमेस्टर चल रहा है। शीघ्र ही परिक्षाएं भी होने वाली हैं। जैप्टन के नाम से उनका अपना स्टार्टअप भी है। गुरुग्राम में स्थापित आईटी क्षेत्र की कम्पनी विंडली लैब्स प्राइवेट लिमिटेड में उन्हें 22 लाख रुपये के पैकेज पर सॉफ्टवेयर डेवलपर की नौकरी मिली है।
पहले पढाई से दूर भागते थे अविरल…
अविरल ने बताया कि घर में पढाई में तो वह कमजोर थे। उन्होंने कहा कि घर में हमेशा अपने भाई और बहनों से उनके नम्बर कम आते थे। जिस वजह से मां और पिता परेशान रहते थे कि तीनों भाई बहन जब एक ही स्कूल में पढाई करते हैं । एक सी सुविधाएं हैं फिर तो ऐसा भला क्यों हो रहा है। वह कहते हैं कि उनका पढाई में मन नहीं लगता था, उनसे बार बार कहा जाता था कि जब तीनों एक सी पढाई कर रहे हैं तो तुम फिसड्डी क्यों हो रहे हो। अविरल ने बताया कि माताजी के काफी समझाने के बाद उन्होंने पढाई में ध्यान दिया। जिसके बाद 12 वीं क्लास में उनका 76 प्रतिशत अंक प्राप्त किए। उसके बाद एकेटीयू के जरिए उनका दाखिला मेरठ के चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के कैम्पस के सर छोटूराम इंस्टीट्यूट और टेक्नोलॉजी में और और आज चौथा साल है IT में जब वह बीटेक कर रहे हैं।
माँ की डांट फटकार से तंग आकर करनी शुरू की मेहनत…
वह कहते हैं कि हालांकि वह सीएस लेना चाहते थे लेकिन उन्हें नहीं मिला था। वह कहते हैं कि स्कूल की पढ़ाई के दौरान उन्हें मां की खूब डांट पड़ी है। बीटेक में भी शुरुआत के वर्षों में खूब फटकार उन्हें पड़ी है, फटकारों का असर यह हुआ कि उन्हें शर्म आनी लगी और वह मेहनत करने लगे। लेकिन सैकेंड ईयर से उन्होंने बिल्कुल कमर कस ली और अपनी पढ़ाई में बहुत मेहनत की।।
16 से 18 घण्टे सिर्फ अपने लक्ष्य को पूरा करने को करते हैं काम…
अविरल बताते हैं कि आज वह 16 से 18 घण्टे खुद के डेवलपमेंट पर देते हैं, उसमें चाहे पढाई हो या फिर कोडिंग सीखना हो। वह कहते हैं कि उनकी आईटी की फील्ड है जो कि कोडिंग से संबंधित है। वह हर दिन कोडिंग में 16 से 18 घण्टे देते हैं तो इसका नतीजा यही है कि आज 22 लाख का पैकेज लगा है।
हॉस्टल में जूनियर स्टूडेंट्स को भी पढ़ाते हैं अविरल…
22 लाख रुपये का सालाना पैकेज के बारे में उन्होंने कहा कि वह यह तो नहीं कह सकते कि आज तक इतना पैकेज किसी को क्यों नहीं मिला, लेकिन वह यह कह सकते हैं कि अगर मेहनत करेंगे तो बाकी स्टूडेंट्स को उनसे भी ज्यादा निश्चित ही मिलेगा। अविरल ने कहा कि वह चाहते भी हैं कि जो उनसे जूनियर वह इस रिकॉर्ड को भी तोड़ें। और उसके लिए भी वह मेहनत कर रहे हैं, बता दें कि अविरल अपने जूनियर्स को भी काफी समय से निरन्तर घन्टों बैठकर रात को गाइड करते हैं, जूनियर छात्रों की जो भी दुविधाएं होती हैं उन्हें दूर करने में मदद करते हैं , हॉस्टल में काफी बच्चे हैं जिन्हें वह पढाई में सहयोग भी करते हैं।
पढाई के दौरान ही बना चुके हैं 650 से ज्यादा सॉफ्टवेयर…
अविरल का कहना है कि उनकी बचपन से ही कोडिंग में रुचि थी कम्प्यूटर में ही रुचि थी। वह कहते हैं कि आज की तारीख तक वह करीब 650 सॉफ्टवेयर बना चुके हैं। पिता से लेपटॉप की मांग की थी, उसके बाद सिर्फ यही सोचकर काम करते रहे कि कम्प्यूटर या लैपटॉप कैसे काम करता है , बस फिर क्या आगे बढ़ते गए।
फोर्ब्स की सूची मेंनाम शामिल कराना है अविरल का सपना…
अविरल का कहना है कि उन्होंने अपने लिए एक बड़ा लक्ष्य चुना है जो कि किसी भी मिडिल क्लास बच्चे के लिए काफी बड़ा है। वह कहते हैं कि उन्हें बिजनेस में अपना नाम बनाना है, बीटेक के बाद जो उनका अपना जो एक स्टार्टअप चल रहा है उसे एक अलग लेवल पर लेकर जाना है। बकौल अविरल मेरा एक सपना है कि मैं एक दिन फोर्ब्स में पब्लिश हूं और उस सपने के लिए काफी मेहनत कर रहा हूँ बाकी अब देखते हैं कैसे क्या होता है।
रतन टाटा को मानते आदर्श, पिता से लेते हैं प्रेरणा..
बिजनेस में अविरल रतन टाटा को आदर्श मानते हैं जबकि प्रेरणा अपने पिताजी से लेते हैं। अविरल ने बताया कि उनके पिता बॉर्डर पर हैं और वहां माइनस 12 से 16 डिग्री में भी वह देश के लिए खड़े हैं उस चीज को सोचकर वह काफी मेहनत करते हैं की जो पिता उनके लिए खड़े हैं देश के लिए खड़े हैं उनके सपने भी हैं कि उनके बच्चों के सपने पूरे हों। तो इसलिए वह खुद भी काफी मेहनत करते हैं।
खुद को बताते हैं माता पिता का सबसे नालायक बेटा..
अविरल का कहना है कि कह सकते हैं कि माता पिता का सबसे नालायक बेटा आज इस मुकाम पर है। वह इस सफलता के लिये अपने गुरुजनों की भी सराहना करते हैं।
चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय की कुलपति संगीत शुक्ला ने भी अविरल की इस कामयाबी पर उन्हें शुभकामनाएं दीं। वहीं सर छोटू राम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी के डायरेक्टर नीरज गोयल बताते हैं कि अविरल नें अपनी लगन और मेहनत से संस्थान का भी मां बढाया है । उन्होंने कहा कि हम गौरवान्वित हैं कि संस्थान के इतिहास में पहली बार किसी स्टूडेंट को इतना शानदार पैकेज मिला है।