मणिपुर में फंसे कानपुर के आवेग शर्मा ने ‘अमर उजाला’ को बताया कि छात्रावास में 80 से अधिक यूपी के छात्र हैं। सुबह का नाश्ता बंद हो गया है। सिर्फ दो टाइम खाना मिल रहा है, वह भी सब्जी और चावल।
मणिपुर में चल रही हिंसा में प्रदेश के 80 से अधिक युवा भी फंसे हुए हैं। इन युवाओं की धड़कन हर समय बढ़ती ही जा रही है। क्योंकि हिंसा की आंच वहां के शिक्षण संस्थानों तक पहुंच रही है। इतना ही नहीं एनआईटी इंफाल (मणिपुर) के पास भी फायरिंग और बमबारी हुई है। छात्रों को रात में लाइट बंदकर रहने और बाहर न निकलने के निर्देश दिए गए हैं। प्रदेश सरकार की ओर से अभी तक इन विद्यार्थियों से संपर्क नहीं किया गया है।
प्रदेश के 80 से अधिक विद्यार्थी एनआईटी इंफाल से बीटेक कर रहे हैं। तीन-चार दिन में ही हालत बद से बदतर हो गई है। हालात ये हैं कि विद्यार्थियों को पीने के लिए एक लीटर पानी की बोतल मिल रही है, जिसमें उन्हें पूरा दिन बिताना पड़ रहा है। क्योंकि, अफवाह यह है कि सप्लाई के पानी में जहर मिला दिया गया है। इतना ही नहीं नहाने आदि के लिए पानी मिल नहीं रहा है, अगर मिल रहा है तो उसका प्रयोग करने में छात्र हिचक रहे हैं।
यहां पर फंसे कानपुर के आवेग शर्मा ने ‘अमर उजाला’ को बताया कि छात्रावास में 80 से अधिक यूपी के छात्र हैं। सुबह का नाश्ता बंद हो गया है। सिर्फ दो टाइम खाना मिल रहा है, वह भी सब्जी और चावल। खाना-पानी तो किसी तरह चल रहा है, लेकिन पूरा समय दहशत में बीत रहा है। वजह, सुरक्षा के नाम पर मात्र चार सीआरपीएफ के जवान हैं। सामने जंगल और घर जल रहे हैं। कोई सुनवाई नहीं हो रही है। प्रदेश सरकार के हेल्पलाइन नंबर न होने से किसी से संपर्क नहीं हो पा रहा है।
यहां से बीटेक चौथे सेमेस्टर की पढ़ाई कर रहे गोंडा के मनिकापुर के सौरभ जायसवाल ने बताया कि तीन दिन से इंटरनेट सेवा बाधित है। आस-पास गोलीबारी और बमबाजी की दिनभर आवाज आती है। घरवालों से फोन पर बात हो रही है लेकिन वह भी काफी डरे हुए हैं। हमनें स्थानीय मीडिया से संपर्क किया है, किसी तरह हम लोगों को बाहर निकालने की व्यवस्था की जाए। असम सरकार अपने बच्चों को यहां से ले गई है। कल तेलंगाना के भी छात्र जा रहे हैं। अभी यूपी से कोई संदेश नहीं मिला है। हम काफी परेशान हैं।
गाजियाबाद के अभिषेक शर्मा ने बताया कि स्थिति यहां पर काफी खराब है। बीती रात लगभग 12 बजे हॉस्टल में पीछे की तरफ कुछ लोगों ने फायरिंग की थी। हम खुद को कमरों में कैद रखते हैं। क्योंकि छात्रावास में ठीक से बाउंड्री भी नहीं है। एक दिन तो पानी ही नहीं आया। अब कहीं पोखरे से पानी की आपूर्ति हो रही है और पीने के लिए बोतल का पानी मिलता है। हॉस्टल वाले कह रहे हैं कि दो-तीन दिन का ही खाना बचा है। संस्थान के रजिस्ट्रार कभी-कभार आते हैं लेकिन बाहर निकालने की व्यवस्था अभी भी नहीं हो पा रही है।
अभी तक मणिपुर हिंसा के किसी छात्र या व्यक्ति के फंसे होने की सूचना नहीं मिली है। दिल्ली में प्रदेश सरकार के स्थानिक आयुक्त को निर्देश दिए गए हैं कि वे मणिपुर के स्थानिक आयुक्त से संपर्क कर पता लगाएं कि वहां का कोई नागरिक फंसा तो नहीं है। यदि किसी व्यक्ति के फंसे होने की सूचना मिलेगी तो त्वरित कार्यवाही की जाएगी।