मेरठ । विश्व थैलेसिमिया दिवस आज मनाया जाएगा । इस अवसर पर मेडिकल काॅलेज में कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। मेडिकल विभाग के बाल रोग विभागाध्यक्ष डॉ नवरत्न गुप्ता ने बताया कि मेडिकल कॉलेज में करीब पौने दो सौ थैलेसीमिया रोगी पंजीकृत हैं। सभी को निःशुल्क दवाएं व आवश्यकता होने पर रक्त उपलब्ध कराया जाता है। रोगियों में आसपास के जिलों के लोग भी शामिल हैं।
थैलेसीमिया एक स्थायी रक्त विकार है। यह एक आनुवंशिक विकार है। जिसके कारण एक रोगी के लाल रंग रक्त कणों में पर्याप्त हीमोग्लोबिन नहीं बन पाता है। इसके कारण एनीमिया हो जाता है और रोगियों को जीवित रहने के के हर दो सप्ताह तक रक्त चढाने की आवश्यकता पडती है। थैलेसीमिया माता पिता के जींस के माध्यम से बच्चों को मिलने वाला आनुवांशिक विकार है। प्रत्येक लाल रक्त कण में हीमोग्लोबिन के अणुओं की संख्या 240 से 300 मिलियन के बीच हो सकती है। रोग की गंभीरता चीन में शामिल उत्परिवर्तन और उनकी अंत:क्रिया पर निर्भर करती है।
थैलेसीमिया के कई प्रकार है। जिसमें थैलेसीमिया माइनर है। हीमोग्लोबिन जीन गर्भधारण के दौरान विरासत में मिलता है। इसमें एक जीन मॉ मे एक जीन पिता से मिलता है। एक जीन में थैलेसीमिया के लक्षण वालों लोगों को वाहन के रूप में जाना जाता है। या उन्हें थैलेसीमिया माइनर ग्रस्त कहा जाता है। थैलेसीमिया माइनर कोई विकार नहीं है। इसमें व्यक्ति को केवल हल्का एनीमिया होता है। इंटरमीडिएट के अंतर्गत ऐसे मरीज मिलते है। जिनमें हल्के से लेकर गंभीर लक्षण मिलते है।
इस तरह थैलेसीमिया से हो सकता है बचाव
3 माह बाद नजर आते हैं थैलेसीमिया के लक्षण डॉक्टर बताते हैं कि थैलेसीमिया