बूढ़े दादा दादी को कांवड़ मे बैठा कांधे पर लेकर मेरठ पहुंचा शिवभक्त।
सावन का महीना चल रहा है और शिव भक्त कांवड़ यात्रा पर निकल चुके हैं, कोई नंगे पैर तो कोई कांवड़ लिए भोले बाबा के दर्शन को जा रहा है लेकिन एक कलयुगी श्रवण कुमार कांवड़ पर अपने दादा दादी को लिए भोले नाथ के दर्शन कर हरिद्वार से मेरठ तक पैदल आया है।
आज मेरठ में एक ऐसी भक्ति देखने को मिली जिसमें भक्त भगवान के प्रति जितना श्रद्धावान है, दादा दादी की ममता के प्रति भी उसकी उतनी ही आस्था है। भगवान शिव में आस्था रखने वालों के लिए सावन का महीना सबसे पवित्र माना जाता है। इस महीने में शिव भक्त गंगा से जल भर कर पैदल चलते हुए और सौन्दर्य यात्रा को पूरा करते हुए देश-दुनिया भर के शिवालयों में जल चढ़ाते हैं। वहीं आज मेरठ में एक ऐसा ही शिव भक्त देखने को मिला जो गंगा जल लेकर भोले बाबा के शिवालय की ओर बढ़ रहा है। पर इस शिव भक्त को अगर कलयुगी श्रवण कुमार कहे तो ये भी उसके लिए सटीक बैठेगा।
जहाँ श्रवण कुमार ने अपने बूढ़े माता पिता को तराजू नुमा पालकी में बैठा कर तीर्थ यात्रा करवाई थी वहीं गाज़ियाबाद के मुसाडीपुर में भी आज एक पोता राहुल सैनी कलयुगी श्रवण कुमार बन गया। शिव भक्त राहुल सैनी अपने बूढ़े दादा दादी को तीर्थ यात्रा पर लेकर निकला, उसे भी दादा दादी को तीर्थ करवाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। बता दें कि राहुल सैनी ने तराजू नुमा पालकी में एक तरफ अपने दादा को तो दूसरी तरफ दादी को बैठाया और वही पालकी में अमृत गंगाजल रखा और फिर हरिद्वार से मेरठ तक यह यात्रा बड़ी मशक्कत और कठिनाई से पूरी की इस यात्रा को मेरठ तक पूरा करने में राहुल को लगभग 16 दिन लग गए इसके बाद व अपने गंतन्त्व गाज़ियाबाद की ओर बढ़ रहा है। जब श्रद्धालु मेरठ की सरजमीं पर पहुँचा तो हमने उनसे बात की इसके साथ ही राहुल और उनके दादा ने सभी श्रद्धालुओ व देशवासियो को सन्देश भी दिया कि सभी को अपने माता-पिता की हमेशा सदैव सेवा करनी चाहिये।