” सर्व शिक्षा अभियान , पढ़ेगा इंडिया तभी तो बढ़ेगा इंडिया और स्कूल चलो अभियान ” ये वो नारे हैं जिनके साथ सरकार धरातल पर उतरकर बच्चों को शिक्षा हासिल करने के लिए प्रेरित करने के प्रयास कर रही है । सरकारी दावों की बात की जाए तो इसमें सरकार कि तरफ से अथक प्रयास किए जा रहे हैं कि सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों की तादात में इज़ाफ़ा किया जा सके और इसकी जिम्मेदारी सरकार ने शिक्षा विभाग को सौंपी है लेकिन धरातल पर चीजें सरकार के दावों से उलट नजर आ रही है । आलम ये है कि इस सत्र में करीब 50 सरकारी स्कूलों में एक भी एडमिशन नहीं हो पाया है । ये वो आंकड़ा है जो इस बात की कलई खोल रहा है कि सरकार के दावों पर शिक्षा विभाग कितना काम कर रहा है ।
दरअसल , सत्र 2024 – 25 में सरकारी स्कूलों पढ़ने आने वाले छात्रों का आंकड़ा बढ़ाने के लिए सरकार पूरी कोशिश कर रही है । सरकार की तरफ से बार-बार इस बात का प्रयास किया जा रहा है कि सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों की तादात में लगातार इज़ाफ़ा हो सके और हर बच्चे को शिक्षा मुहैय्या कराई जा सके । इसके लिए सरकार ने बाकाएदा शिक्षा विभाग को आदेशित भी किया और अभियान चलाए जाने की हिदायत भी दी । साथ ही साथ सरकार ने शिक्षकों और शिक्षा विभाग के अधिकारियों की जवाबदेही भी इस बात में सुनिश्चित की है कि वो जिले में सभी सरकारी स्कूलों में पढ़ने आने वाले छात्रों की तादात को बढ़ाना सुनिश्चित कराएं । लेकिन सरकार के दावों से उलट जमीनी तस्वीर कुछ और ही बात बयां कर रही है ।
बात मेरठ की ही कि जाए तो मेरठ में सत्र 2024 – 25 में 43 सरकारी प्राइमरी स्कूल और 4 अपर प्राइमरी स्कूल ऐसे हैं जिनमें एक भी छात्र का प्रवेश नहीं हुआ है । ये वो आंकड़ा है जो सरकार के माथे पर चिंता की लकीरें जरूर ला रहा है क्योंकि इन आंकड़ों के साथ वो बात भी खुलकर सामने आ रही है जिसमें मोटी तनख्वाह लेने वाले शिक्षकों की कार्यशैली पर भी सवाल उठ रहे हैं । सवाल यही है कि आखिर मोटी – मोटी तनख्वाह लेने वाले शिक्षक क्या कर रहे हैं और क्यों सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों की तादात में इज़ाफ़ा नहीं करा पा रहे हैं । ऐसे में सवाल ये भी उठ रहा है कि क्या सरकार के दावों पर अमलयाबी शिक्षा विभाग के द्वारा पूरी तरीके से की भी जा रही है या नहीं ।
वहीं इस मुद्दे पर मेरठ की बेसिक शिक्षा अधिकारी आशा चौधरी का कहना है कि सरकार का आदेश पर स्कूल चलो अभियान चलाया गया, जहां मलीन बस्तियों का भी दौरा कर वहां रहने वाले छात्रों को स्कूल में आने के लिए प्रेरित किया गया और कुछ बच्चों ने स्कूल में एडमिशन भी लिया है । साथ ही उन्होंने कहा कि लोगों को थोड़ा और जागरूक करने के साथ-साथ शिक्षा विभाग को इस मुद्दे पर और मेहनत करने की जरूरत है ताकि सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों की तादात में इजाफा हो सके ।
बहरहाल सरकार ने सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों की तादाद बढ़ाने के लिए विभाग को निर्देशित भी किया और विभाग के मुताबिक उन्होंने सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों की तादात बढ़ाने के लिए कोशिश भी की लेकिन सवाल अपनी जगह खड़ा हुआ है कि आखिर क्यों छात्रों ने सरकारी स्कूल का रुख नहीं किया जहां वो मुफ्त शिक्षा हासिल कर सकते थे । ऐसे में यही कहा जा सकता है कि शिक्षा विभाग के प्रयास में बड़ी कमी देखने को मिली है जिसकी मिसाल ये सरकारी स्कूल दे रहे हैं जिनमें इस सत्र में एक भी छात्र का प्रवेश नहीं हो पाया है । अब देखना ये होगा कि आखिर शिक्षा विभाग वो कौनसा नायाब तरीका निकलेगा जिससे कि इन स्कूलों में छात्रों की तादात में इज़ाफ़ा कराया जा सके ।