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इलाहबाद

सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो मामले में दोषियों से उसकी मंजूरी के बिना जुर्माना जमा करने पर सवाल उठाया

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सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को बिलकिस बानो मामले में दोषियों से उनके अंतरिम आवेदन पर फैसले का इंतजार किए बिना जुर्माना जमा करने पर सवाल उठाया, खासकर तब, जब गुजरात सरकार के खिलाफ दायर याचिकाओं पर अंतिम सुनवाई चल रही हो।

गुजरात सरकार ने बिलकिस के साथ सामूहिक दुष्‍कर्म और उसके परिवार के सदस्यों की हत्या के मामले में दोषियों को समय से पहले रिहाई की अनुमति दी थी।

सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्‍ना और न्यायमूर्ति उज्‍ज्‍वल भुइयां की पीठ को अवगत कराया कि दोषियों ने मुंबई में ट्रायल कोर्ट से संपर्क किया है और उन पर लगाया गया जुर्माना जमा कर दिया है।

उन्होंने तर्क दिया कि हालांकि जुर्माना जमा न करने से छूट के फैसले पर कोई असर नहीं पड़ता है, लेकिन उन्होंने अपने ग्राहकों को “विवाद को कम करने” के लिए जुर्माना जमा करने की सलाह दी थी।

हालांकि, पीठ ने अदालत के समक्ष दायर उनके आवेदन के नतीजे का इंतजार किए बिना जुर्माना जमा करने पर सवाल उठाया।

इसने पूछा, “आप अनुमति मांगते हैं और फिर अनुमति प्राप्त किए बिना ही जमा कर देते हैं?” .

शीर्ष अदालत ने कहा कि जब गुजरात सरकार ने पिछले साल 15 अगस्त को अपनी माफी नीति के तहत इन 11 दोषियों को रिहा करने की अनुमति दी थी, तब जुर्माना नहीं भरा गया था।

लूथरा ने शीर्ष अदालत को बताया कि मुंबई की सत्र अदालत ने उनकी आशंकाओं के विपरीत जुर्माने को सामान्य रूप से स्वीकार कर लिया। उन्होंने बार-बार तर्क दिया कि जुर्माना जमा करने या न करने का किसी दोषी को छूट देने में कोई “कानूनी महत्व” नहीं होता।

उन्होंने दोहराया कि तय समय से पहले रिहाई की मांग करने वाले आवेदनों पर शीर्ष अदालत के पहले के आदेश के अनुसार, गुजरात सरकार द्वारा विचार किया गया था और न्यायिक आदेश को संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत रिट याचिका दायर करके चुनौती नहीं दी जा सकती।

इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट के समक्ष यह बताया गया था कि दोषियों ने उन पर लगाए गए जुर्माने का भुगतान नहीं किया है और ऐसे में जुर्माना न चुकाने से छूट का आदेश अवैध हो जाता है।

अदालत ने अगली सुनवाई 14 सितंबर को तय की और दोषियों को उस दिन अपनी दलीलें पूरी करने को कहा।

केंद्र, गुजरात सरकार और दोषियों ने मकापा नेता सुभाषिनी अली, तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा, नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वुमेन, आसमां शफीक शेख और अन्य द्वारा दायर जनहित याचिकाओं (पीआईएल) का विरोध करते हुए कहा है कि पीड़िता ने स्वयं अदालत का दरवाजा खटखटाया है, ऐसे में दूसरों को आपराधिक मामले में हस्तक्षेप करने की अनुमति नहीं दी जा सकती।

अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस.वी. राजू ने तर्क दिया था कि सजा में छूट का मतलब सजा में कमी करना है और सजा के सवाल पर जनहित याचिका पर विचार नहीं किया जा सकता।

उन्होंने कहा था, “जहां तक सजा की मात्रा का सवाल है, इसमें कोई तीसरा पक्ष दखल नहीं दे सकता।”

मामले में दोषी ठहराए गए 11 लोगों को पिछले साल 15 अगस्त को रिहा कर दिया गया था। गुजरात सरकार ने अपनी छूट नीति के तहत उनकी रिहाई की अनुमति दी थी और कहा था कि दोषियों ने जेल में 15 साल पूरे कर लिए थे।

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रेलवे पुलिस में तैनात दरोगा की पत्नी की हत्या

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प्रयागराज शहर के रेलवे पुलिस जीआरपी में तैनात दरोगा निहाल सिंह यादव की पत्नी की हत्या उनके घर पीपल गांव में कर दी गई है रेलवे दरोगा की पत्नी की हत्या करने के बाद हत्यारे मौके से फरार हो गए हैं दरोगा की पत्नी की हत्या की जानकारी मिलते ही आसपास के लोगों की मौके पर भीड़ लग गई है सूचना दरोगा को दी गई है सूचना पाकर दरोगा भी अपने घर पहुंच गए हैं मामले की भनक लगते ही मौके पर स्थानीय थाना पुलिस पहुंची है और महिला के शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है

जानकारी के मुताबिक धूमनगंज थाना अंतर्गत पीपल गांव में दरोगा की पत्नी महिला पुष्पा देवी उम्र लगभग 50 वर्ष रविवार को अपने घर पर मौजूद थी इसी बीच कुछ लोगों ने महिला की गला घोटकर हत्या कर दी है महिला के नाक से खून बह रहा है गले में निशान पाए गए हैं दरोगा की पत्नी की हत्या की जानकारी मिलते ही हड़कंप मच गया पत्नी की हत्या की जानकारी मिलते ही आनन-फानन में ड्यूटी छोड़ कर दरोगा भी घर पर पहुंच गए मामले की सूचना थाना पुलिस को दी गई सूचना पाकर मौके पर पहुंची पुलिस ने महिला के शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है दरोगा की पत्नी की हत्या क्यों की गई है इस बारे में कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं है पुलिस हत्या के कारणों की जांच कर रही है

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जांच को झांसी पहुंचा मानवाधिकार आयोग एनकाउंटर सीन का हुआ रीक्रिएशन

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झांसी।माफिया अतीक अहमद के बेटे असद और शूटर गुलाम के एनकाउंटर मामले की जांच करने मंगलवार दोपहर मानवाधिकार आयोग की टीम झांसी पहुंची। टीम सदस्यों ने एनकाउंटर स्थल पर पहुंचकर पूरे घटनाक्रम का रीक्रिएशन किया।
इस दौरान उन्होंने फायरिंग रेंज समेत आने जाने वाले रास्ते और आसपास के लोगों से पूछताछ करके उनके भी बयान दर्ज किए हैं। मानवाधिकार टीम घटनास्थल पर करीब दो घंटे तक रही। यहां टीम के सदस्यों ने सीन को रीक्रिएट किया। दोनों के भागने के रास्ते के बारे में देखा। इसके साथ ही गाड़ी के आने जाने की स्थिति को भी देखा।
बता दें, 13 अप्रैल को बड़ागांव थाने के परीछा बांध के पास उमेश पाल हत्याकांड में वांछित पांच लाख के वांछित बदमाश असद और उसके साथी शूटर गुलाम को एसटीएफ ने मुठभेड़ के दौरान मार गिराया था।
मानवाधिकार आयोग ने दिल्ली में इस मामले में एक एफ आई आर दर्ज की थी। उसी सिलसिले में जांच करने टीम यहां झांसी पहुंची। सदस्यों ने मीडिया प्रतिनिधियों से कोई बात नहीं की।
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अतीक दफ्तर से मिले खून सने कपड़े, चाकू औऱ चूड़ियां

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प्रयागराज। माफिया अतीक अहमद के दफ्तर में पुलिस को जांच के दौरान खून के धब्बे और चाकू मिले हैं। इसके अलावा खून से सने कपड़े मिले हैं। अतीक के दफ्तर में खून से सनी चूड़ियां भी मिली हैं।
जानकारी के अनुसार, प्रयागराज के चकिया में माफिया अतीक अहमद का दफ्तर है। यह दफ्तर खंडहर हो चुका है। यहां सोमवार को यूपी पुलिस की टीम जांच के लिए पहुंची। यहां खून के धब्बे दिखाई दिए। सीढ़ियों पर खून के ताजे धब्बे दिखाई दे रहे हैं। पहले तल पर एक महिला की साड़ी और कुछ अंडर गारमेंट्स पुलिस को मिले हैं।
अभी साफ नहीं हो पाया है कि यह खून किसका है। सीढ़ियों और कपड़ों पर खून के धब्बे मिले हैं। सीढ़ियों से छत तक खून के छीटें मिले। खून से सना दुपट्टा भी मिला है। पुलिस ने जो कुछ देखा वो हैरान कर देने वाला था। सभी चीजों को पुलिस ने अपने कब्जे में ले लिया है। पुलिस जांच कर रही है।आशंका है कि किसी महिला की यहां हत्या की गई है। इसके बाद उसका शव कहीं बाहर फेंक दिया गया।

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