मेरठ । देश के पूर्व प्रधानमंत्री व किसानों के मसीहा स्व. चौधरी चरण को भारत रत्न दने की घोषणा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने सोशल मीडिया के माध्यम से की है। उन्होंने लिखा कि हमारी सरकार का सौभाग्य है कि देश के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह जी को भारत रत्न से सम्मानित किया जा रहा। यह सम्मान देश के लिए उनके अतुलनीय योगदान को समर्पित करता है। चौधरी साहब ने अपना पूरा जीवन किसानों के अधिकार और उनके कल्याण के लिए समर्पित कर दिया। जैसे ही इसकी जानकारी वेस्ट के जाट समुदाय को लगी वहां खुशी का माहौल छा गया। मेरठ में भी चौधरी चरण को भारत्न की घोषणा के बाद जश्न मनाया गया। समाज के अन्य वर्ग ने इसी प्रधानमंत्री का अच्छा कदम बताया है।
चौधरी चरण सिंह मेरठ के नूरपुर गांव में 23 दिसंबर 1902 को पैदा हुए। परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। खेती-किसानी से घर चलता था। पिता चौधरी मीर सिंह चाहते थे कि चरण पढ़-लिखकर जल्दी परिवार की जिम्मेदारी उठा लें। चरण की पढ़ाई मेरठ के सरकारी उच्च विद्यालय में हुई। साल 1923 में उन्होंने साइंस से ग्रेजुएशन किया। फिर, 1925 में आर्ट्स साइड लेकर से पीजी किया। फिर कानून की पढ़ाई पूरी कर वकालत करने गाजियाबाद चले गए।
उन दिनों देश में चंद्रशेखर आजाद और भगत सिंह को देखकर युवाओं में आजादी को लेकर जोश बढ़ा हुआ था। साल 1929 में चरण सिंह भी इस लड़ाई में कूद गए। 1937 उनका नाम पहली बार यूपी की राजनीति में सुनाई दिया। जब कांग्रेस की तरफ से उन्होंने विधानसभा चुनाव लड़ा और जीता भी। 3 साल बाद यानी 1940 में वह सत्याग्रह आंदोलन में शामिल हुए, इस दौरान उन्हें जेल भी जाना पड़ा।सत्याग्रह आंदोलन में चरण सिंह का जेल जाना जाया नहीं गया। 7 साल बाद देश को आजादी मिल गई। चरण सिंह के त्याग और उनकी हिम्मत के कारण लोग अब उन्हें ‘चौधरी चरण सिंह’ बुलाने लगे थे। उनकी गिनती कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं में होने लगी। साल 1951 में उन्हें बड़ी जिम्मेदारी मिली। उन्हें उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिला। इस दौरान उन्होंने न्याय एवं सूचना विभाग का कार्यभार भी संभाला।
1952 में डॉ. सम्पूर्णानंद यूपी के सीएम बने तो चौधरी चरण सिंह को राजस्व और कृषि विभाग का दायित्व मिला। इसी साल चौधरी साहब ने यूपी के किसानों के लिए जमींदारी उन्मूलन विधेयक पारित किया। इससे अंग्रेजों के जमाने से चली आ रही जमींदारी प्रथा खत्म हो गई। इससे किसानों को भी खेती के लिए जमीनें मिलने लगी, जिसपर पहले जमींदारों का हक चलता था।इस फैसले ने राजनीतिक और व्यक्तिगत तौर पर चौधरी चरण सिंह का कद बढ़ा दिया। विधेयक पारित करने वाली कांग्रेस पार्टी 1960 में फिर से चुनाव जीती और चौधरी साहब को किसानों का नेता माना जाने लगा। इसी साल चंद्रभानु गुप्ता की सरकार में उन्हें गृह और कृषि विभाग दिया गया।
चौधरी चरण सिंह 17 साल तक (1951-1967) यूपी में कांग्रेस का बड़ा चेहरा बने रहे। हालांकि, सन 1967 में पंडित जवाहर लाल नेहरू से मनमुटाव के चलते उन्होंने कांग्रेस पार्टी छोड़ दी। यूपी के राजनीतिक पंडित यह मान चुके थे कि शायद अब चौधरी चरण सिंह की चौधराहट में फर्क आएगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। कांग्रेस से कटकर उन्होंने राज नारायण और राम मनोहर लोहिया जैसे कद्दावर नेताओं के सहयोग से एक नई राजनीतिक पार्टी ‘भारतीय क्रांति दल’ बनाई। इसी साल चौधरी चरण सिंह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने।3 अप्रैल 1967 से यूपी की सत्ता संभालने वाले चौधरी चरण सिंह ने एक साल बाद यानी 1968 में सीएम के पद से इस्तीफा दे दिया। हालांकि, 1970 में हुए मध्यावधि चुनाव में उन्होंने बड़ी जीत हासिल की और दोबारा 17 फरवरी 1970 में वह मुख्यमंत्री बने। इसके बाद वो केन्द्र सरकार में गृहमंत्री बने तो उन्होंने मंडल और अल्पसंख्यक आयोग की स्थापना की।इसके बाद वह केन्द्र सरकार में गृहमंत्री बने तो उन्होंने मंडल और अल्पसंख्यक आयोग की स्थापना की। 1979 में वित्त मंत्री और उपप्रधानमंत्री के रूप में राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक की स्थापना की। 28 जुलाई 1979 को चौधरी चरण सिंह समाजवादी पार्टियों और कांग्रेस (यू) के सहयोग से प्रधानमंत्री बन गए।
अनोखा रिकार्ड चौधरी साहब के नाम
चौधरी चरण सिंह के नाम एक अनोखा रिकॉर्ड है। वह यूपी के इकलौते ऐसे नेता थे, जिन्होंने कभी भी कोई चुनाव नहीं हारा। बागपत जिले का छपरौली गांव, जहां से उन्होंने विधानसभा चुनाव लड़ा। वहां आज भी लोग उनके किस्से-कहानियां सुनाते हैं।मेरठ के लोग भी उनके किस्से बताते है।
बेटे के बाद अब पोता संभाल रहा विरासत
पिछले दिनों जयंत और अखिलेश की पार्टी के बीच गठबंधन हुआ था। सपा ने उन्हें लोकसभा की 7 सीटें दी थी, लेकिन 5 फरवरी के बाद खबरें आने लगी थी कि जयंत इंडिया गठबंधन में न होकर एनडीए के साथ जा रहे हैं। ऐसे में अब उनके दादा को भारत रत्न देने का ऐलान हुआ है, इसके बाद अब तय लग रहा कि वह बीजेपी के साथ लोकसभा चुनाव में जाएंगे, बस ऐलान बाकी है।
चौधरी चरण को भारत रत्न की घोषणा के बाद बंद हुए रालोद नेताओं के फोन
किसानों के मसीहा चौधरी चरण को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा भारत रत्न देने की घोषणा के बाद अधिकतर रालोद नेताओं ने अपने मोबाइल को प्रतिक्रिया देने से बचने के बंद कर लिया। कुछ फोन को रिसीव ही नहीं किया।
रालोद के राष्ट्रीय सचिव प्रतीक जैन का कहना है चौधरी साहब को भारत रत्न के लिए पीएम मोदी का धन्यवाद दिया है। सालों की मेहनत अब रंग लाई ।