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राष्ट्रीय समाचार

दिल्ली की सभी सीटों पर चुनाव लड़ने के बयान पर कांग्रेस से AAP ने पूछा सवाल

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कांग्रेस ने बुधवार को दिल्ली में एक अहम बैठक हुई. इस बैठक के बाद कांग्रेस नेताओं ने बयान दिया कि पार्टी दिल्ली की सभी 7 लोकसभा सीटों पर मजबूती से उतरेगी. कांग्रेस नेताओं के बयान के बाद आम आदमी पार्टी का रिएक्शन भी आ गया है।

नई दिल्ली: 

अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर बीजेपी और विपक्ष जोर-शोर से तैयारी में जुटा है. आम चुनाव में बीजेपी को हराने के मकसद से 26 विपक्षी दल एक साथ आए. उन्होंने अपने गठबंधन का नाम INDIA रखा. इस बीच दिल्ली में बुधवार को कांग्रेस की एक बैठक के बाद पार्टी के नेताओं के बयान से ‘कंफ्यूजन’ की स्थिति पैदा हो गई है. कांग्रेस नेताओं ने बयान दिया कि पार्टी नेतृत्व की तरफ से दिल्ली की सभी 7 लोकसभा सीटों पर मजबूत तैयारी करने को कहा गया है. इस बीच कांग्रेस नेताओं के बयान के कई मायने निकाले जा रहे हैं. आम आदमी पार्टी ने इन बयानों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अगर कांग्रेस ने दिल्ली में अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया है, तो INDIA गठबंधन का क्या मतलब है।

आम आदमी पार्टी नेता विनय मिश्रा ने NDTV से कहा, “ये कांग्रेस नेता का बहुत हैरान करने वाला बयान है. ऐसे बयानों के बाद INDIA गठबंधन का क्या औचित्य रह जाता है? अब अरविंद केजरीवाल को इस पर फैसला करना चाहिए कि आगे क्या करना है. जो देश हित में सर्वोपरि हो वह फैसला लिया जाना चाहिए.”

अलका लांबा बोलीं- दिल्ली में कांग्रेस को मजबूत बनाने पर हुई चर्चा
कांग्रेस की मीटिंग के बाद पार्टी की नेता अलका लांबा ने समाचार एजेंसी ANI से बातचीत में कहा, “लगभग 3 घंटे की मीटिंग में पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, मौजूदा अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, केसी वेणुगोपाल और दिपक बाबरिया मौजूद रहे. तीन घंटे की मीटिंग में संगठन को मजबूत करने पर चर्चा हुई. संगठन में कमजोरियां क्या हैं? उसपर कैसे काम किया जाए? मीटिंग में हमें सुझाव मिले किए कैसे संगठन को मजबूत कर सकते हैं. सुझाव ये भी आया कि लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारियां अब हमें करनी है, मकसद वही था. दिल्ली से पहले 18 राज्यों की लोकसभा सीटों पर चुनाव की तैयारियों को लेकर मीटिंग हो चुकी है. दिल्ली 19वां राज्य था, 2024 का चुनाव कैसे जीतना है इसपर चर्चा हुई. आदेश हुआ कि हमें दिल्ली की सातों सीटों पर मजबूत संगठन के साथ लड़ना है. हर नेता को आज से अभी से निकलना है. 7 महीने और 7 सीटें हैं. ये बात हुई कि जिसकी दिल्ली हुई, उसका देश होता है. यही इतिहास बताता है. इसलिए हमें कहा गया कि दिल्ली की सातों सीटों पर तैयारी रखनी है. मजबूती के साथ हमें निकलना है.”

दिल्ली में कांग्रेस ‘एकला चलो’ पर काम कर रही है? इसके जवाब में अलका लांबा ने कहा, “अभी कोई निर्णय नहीं लिया गया है. इसलिए ये कहना कि हम दो सीटों पर लड़ेंगे, चार सीटों पर लड़ेंगे या बाकी पर काम नहीं करेंगे… ऐसा कुछ नहीं है. दिल्ली की सात सीटों पर हम (कांग्रेस) 2019 के चुनाव में दूसरे नंबर पर रही. अब भारत जोड़ो यात्रा के बाद हम देख रहे हैं कि लोग बीजेपी के खिलाफ देश में एक मजबूत विकल्प के तौर पर कांग्रेस को देख रहे हैं. राहुल गांधी ने अपने अनुभव भी शेयर किए हैं.”

लांबा ने आगे कहा, “कांग्रेस का जो वोट है, वो आम आदमी पार्टी की तरफ गया है. बीजेपी की एक स्थिर लाइन है. हमारी लड़ाई बीजेपी से है, लेकिन वोट हमारा आम आदमी पार्टी के पास है. आम आदमी पार्टी के दो बड़े नेता इस समय भ्रष्टाचार के आरोपों में जेल में बंद हैं. मुख्यमंत्री पर भी शिकंजा कस सकता है, इस बात की भी चिंता जाहिर की गई है. लेकिन, हम चुनाव लड़ेंगे या नहीं लड़ेंगे या कितनी सीटों पर लड़ेंगे… ऐसी कोई बात नहीं है. अभी संगठन को मजबूत करना है. सातों सीटों पर हमें अपनी तैयारियों को पुख्ता करना है.”
हमने किसी से कोई गठबंधन की चर्चा नहीं की- कांग्रेस दिल्ली अध्यक्ष
कांग्रेस नेता और दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष अनिल चौधरी ने दिल्ली में आम आदमी पार्टी के गठबंधन कर लोकसभा चुनाव लड़ने के सवाल पर कहा कि कांग्रेस पार्टी संगठन को मजबूत करके एकजुट होकर लड़ेगी. हमने आम आदमी पार्टी की या गठबंधन की कोई चर्चा नहीं की. हमारा अपना रास्ता है. हमने पोल खोल यात्रा से लेकर हर एक कोशिश की है कि अरविंद केजरीवाल सरकार की नीतियों को एक्सपोज करें.

आम आदमी पार्टी ने क्या कहा?
आम आदमी के सौरभ भारद्वाज ने कहा, ‘इस तरह की बातें तो आती रहेंगी. जब INDIA के सभी दल एक साथ बैठेंगे, सीट शेयरिंग पर चर्चा करेंगे, सभी पार्टी का राष्ट्रीय नेतृत्व आमने-सामने बैठकर चर्चा करेंगे, तब पता चलेगा कौन सी पार्टी को कौन सी सीटें मिलती हैं. कांग्रेस के इस फैसले का INDIA गठबंधन पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा. बयान देने वाले बहुत छोटे-छोटे नेता हैं, जिनकी जमानतें MLA इलेक्शन तक में नहीं बची हैं. उनकी क्या वैल्यू है. अनील चौधरी और अल्का लांबा ने बयान दिया है, दोनों की ही जमानत कहां बची. दोनों की मिला लो तो भी नहीं जीतेंगे.’

बता दें कि INDIA गठबंधन की पहली मीटिंग पटना में 23 जून को हुई थी. दूसरी मीटिंग 17-18 जुलाई को बेंगलुरु में हुई. अब तीसरी मीटिंग 31 अगस्त और 1 सितंबर को मुंबई में होनी है.

क्या अकेले चुनाव लड़ेगी AAP?
जब सौरभ भारद्वाज से पूछा गया कि क्या आम आदमी पार्टी (AAP) भी दिल्ली में लोकसभा की सातों सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है? तो उन्होंने कहा, “ये फैसला पार्टी के केंद्र नेतृत्व लेगा.” वहीं जब सौरभ से पूछा गया कि क्या वे मानते हैं कि दिल्ली में आप-कांग्रेस का गठबंधन होना चाहिए? तो उन्होंने कहा कि ये सभी PAC के लेवल की चीजे हैं. हमारी पॉलिटिकल अफेयर्स कमेटी है, वो इस पर चर्चा करेगी, निर्णय करेगी. फिर INDIA के तो घटक दल हैं वो आमने-सामने बैठेंगे तब उसपर आगे जो बात बनेगी.

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सहारा ग्रुप के प्रमुख सुब्रत रॉय का निधन, 75 साल की आयु में मुंबई में ली अंतिम सांस

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देश के बड़े औद्योगिक घराने सहारा ग्रुप के चेयरमैन सुब्रत राय सहारा का निधन हो गया है। उद्योग जगत में सहारा के निधन से शोक की लहर दौड़ गई है।

सहारा इंडिया ग्रुप के प्रमुख सुब्रत रॉय का मंगलवार को निधन हो गया है। उन्होंने मुंबई में आखिरी सांस ली। वह लंबे समय से बीमार थे। सहारा परिवार के मुखिया सुब्रत रॉय काफी दिनों से गंभीर बीमारी से ग्रसित थे। उनका मुंबई के एक निजी अस्पताल में इलाज चल रहा था। उनका पार्थिव शरीर बुधवार को लखनऊ के सहारा शहर लाया जाएगा, जहां उन्हें श्रद्धांजलि दी जाएगी।

सुब्रत रॉय सहारा का जन्म 10 जून 1948 को हुआ था। वे भारत के प्रमुख कारोबारी और सहारा इंडिया परिवार के फाउंडर थे। उन्हें देशभर में ‘सहाराश्री’ के नाम से भी जाना जाता था।

 

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राष्ट्रीय समाचार

फिलिस्तीन से मुसलमानों को इतनी मोहब्बत आखिर क्यों है पूरा सच

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ये फलस्तीन नबियों का मसकन और सरजमीं रही है।
हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम ने फ़लस्तीन की तरफ हिजरत फ़रमाई।
अल्लाह ने हज़रत लूत अलैहिस्सलाम को उस अज़ाब से निजात दी जो उनकी क़ौम पर इस जगह नाज़िल हुआ था।
हज़रत दाऊद अलैहिस्सलाम ने इस सरजमीं पर सकूनत रखी और यहां अपना एक मेहराब भी तामीर फ़रमाया।
हज़रत सुलेमान (अलै०हिस०) इस मुल्क में बैठ कर सारी दुनिया पर हूकूमत करते थे।

गौर फरमाने वाली बात है कि कुर‌आन में चींटी का वह मशहूर किस्सा जिसमें एक चींटी ने बाकी साथियों से कहा था ” ऐ चींटियों! अपने बिलों में घुस जाओ” ये किस्सा यहिं फलस्तीन के “असक़लान” शहर की वादी में पेश आया था।
हज़रत ज़करिया अलै०हिस० का मेहराब भी इसी शहर में है।
हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने इस मुल्क के बारे में अपने साथियों से कहा था, इस मुकद्दस शहर में दाखिल हो जाओ! उन्होंने इस शहर को मुकद्दस इसलिए कहा था कि ये शिर्क से पाक और नबियों की सरजमीं है।
इस शहर में क‌ई मोअज़्ज़े हुए है जिनमें एक कुंवारी बीबी हज़रत मरयम के बुतन से ईसा अलैहिस्सलाम की पैदाइश हुई।

हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम को जब उनकी क़ौम ने क़त्ल करना चाहा तो अल्लाह ने उन्हें इसी शहर से आसमां पर उठा लिया था। क़यामत की अलामत में से एक हज़रत ईसा की वापसी इस शहर के मुकाम सफेद मीनार के पास होगा। इस शहर के मुकाम ” बाब ए लुद” पर ईसा अलैहिस्सलाम दज्जाल को क़त्ल करेंगे।

बताते चलें कि फलस्तीन ही अरज़े महशर है।
इसी शहर से ही याजूज माजूज का क़िताल और फसाद शुरू होगा।
फलस्तीन को नमाज़ के फ़र्ज़ होने के बाद “क़िब्ला ए अव्वल” होने का एजाज़ भी हासिल है। हिजरत के बाद जिबरील अलैहि० अल्लाह के हुक्म से नमाज के दौरान ही मुहम्मद स०अ० को मस्जिद ए अक्सा से बैतुल्लाह (काबा) की तरफ़ रुख़ करा ग‌ए थे, जिस मस्जिद में ये वाकिया पेश आया था वह मस्जिद आज भी मस्जिद ए क़िब्लातैन कहलाती है।

हुजूर अकरम (स०अ०) मे’अराज की रात आसमान पर ले जाने से पहले मक्का मुकर्रमा से बैतुल मुकद्दस (फलस्तीन) लाए गए।
अल्लाह के रसूल स०अ० की इक़्तेदा में सारे नबियों ने यहां नमाज़ अदा फरमाई।
इस्लाम का सुनहरी दौर फारूकी में दुनिया भर के फतह को छोड़ कर महज़ फ़लस्तीन की फ़तह के लिए खूद उमर (रजि०अ०) जाना और यहां पर जाकर नमाज़ अदा करना, इस शहर की अज़मत को बताता है।

दुसरी बार यानि 27 रजब 583 हिजरी जुमा के दिन को सलाउद्दीन अय्युबी के हाथों इस शहर का दोबारा फ़तह होना।
बैतूल मुकद्दस का नाम “कुदुस” कूरान से पहले तक हुआ करता था, कूरान नाजिल हुआ तो इसका नाम मस्जिद ए अक्सा रखा गया। इस शहर के हुसूल और रूमियो के जबर वह सितम से बचाने के लिए 5000 से ज्यादा सहाबा किराम रजि०अ० ने जामे शहादत नोश किया, और शहादत का बाब आज तक बंद नही हुआ, सिलसिला अभी तक चल रहा है, ये शहर इस तरह शहीदों का शहर है।

मस्जिद ए अक्सा और शाम की की अहमियत हरमैन की तरह है, जब कूरान पाक की ये आयत
उम्मत ए मोहम्मदी हकीकत में इस मुकद्दस सरजमीं की वारिस है।
फलस्तीन की अज़मत का अंदाज़ा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि यहां पर पढ़ी जाने वाली हर नमाज़ का अज्र 500 गुना बढ़ा कर दिया जाता है।

आज फिलिस्तीनी ,हम्मास और इसराइल के बीच खतरनाक जंग छेड़ी गई है। वहां फिलहाल क्या कुछ सितम बरपा हो रहा है। सबको इसकी खबर है गोया हम सुन्नियों की
दिल से बे तहाशा दुआओं के साथ निगाहें मुन्तज़िर है हम सब की बैतूल मुकद्दस की फ़तह के लिए या रब, फिर किसी सलाउद्दीन अय्युबी को भेज दे। आमीन या रब्बुल आलमीन। मौला हम सबकी लाज रख लेना।

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राष्ट्रीय समाचार

इजराइल पर फलिस्तीनी सशस्त्र संगठन ‘हमाज़’ द्वारा हमले के बाद से जवाबी कार्यवाही दोनों तरफ से जारी है।

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इजराइल पर फलिस्तीनी सशस्त्र संगठन ‘हमाज़’ द्वारा हमले के बाद से जवाबी कार्यवाही दोनों तरफ से जारी है। इजराइल का दावा है कि उसने ‘हमाज़’ के कई ठिकाने  उड़ा दिए है और कई बड़े नेतृत्वकर्ताओं को मारा है। वही हमाज़ के दावो को आधार माने तो उसके लड़के इजराइल में अभी भी मौजूद है और जमकर लोहा ले रहे है। वही इसराइल के एक सरहद पर लेबनान के सशस्त्र संगठन ‘हिजबुल्लाह’ ने भी हमला बोल दिया है।

इस दरमियान टर्की ने अमेरिका को चेताया है कि वह इस लड़ाई से दूर ही रहे। टर्की ने अपने बयान में कहा है कि अमेरिका फलिस्तीन की आज़ादी हेतु हो रही इस लड़ाई से खुद की दुरी बनाये रखे। दूसरी तरफ ईरान के शीर्ष नेता खेमेनाइ ने साफ़ साफ़ हमाज़ का समर्थन किया है। मगर हमाज़ के इजराइल पर किये गए हमले में खुद का हाथ होने से साफ़ साफ़ इंकार किया है।

ईरान ने इज़राइल के भीतर हमास द्वारा किए गए अभूतपूर्व हमलों में किसी भी तरह की संलिप्तता से इनकार किया है। संयुक्त राष्ट्र में ईरान के मिशन ने एक बयान में कहा है कि ‘हम दृढ़तापूर्वक फिलिस्तीन के समर्थन में खड़े हैं, हालांकि, हम फिलिस्तीन की प्रतिक्रिया में शामिल नहीं हैं क्योंकि यह पूरी तरह से फिलिस्तीन द्वारा ही लिया गया है।‘ बयान में कहा गया, “फिलिस्तीन द्वारा उठाए गए दृढ़ कदम सात दशकों के दमनकारी कब्जे और नाजायज ज़ायोनी शासन द्वारा किए गए जघन्य अपराधों के खिलाफ पूरी तरह से वैध बचाव हैं।”

इस बीच इज़राइल और हमास के बीच युद्ध पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने एक आपातकालीन सत्र बंद दरवाजों के पीछे बुलाया था। बंद दरवाजों के पीछे हुई इस बैठक में कोई भी सर्वसम्मति से रास्ता नही निकल पाया है। यह बैठक संयुक्त बयान जारी करने के लिए आवश्यक सर्वसम्मति हासिल करने में विफल रही। अमेरिका ने परिषद के 15 सदस्यों से हमास की कड़ी निंदा करने का आह्वान किया, लेकिन राजनयिकों ने कहा कि रूस के नेतृत्व वाले सदस्य फिलिस्तीनी सशस्त्र समूह की निंदा करने के बजाय व्यापक फोकस की उम्मीद कर रहे थे।

वरिष्ठ अमेरिकी राजनयिक रॉबर्ट वुड ने सत्र के बाद संवाददाताओं से कहा ‘ऐसे कई देश हैं जिन्होंने हमास के हमलों की निंदा की है। वे स्पष्ट रूप से सभी नहीं हैं।‘ परिषद ने लगभग 90 मिनट तक बैठक की और संयुक्त राष्ट्र मध्य पूर्व शांति दूत टोर वेन्नेसलैंड की ब्रीफिंग सुनी। वुड ने रूस के संदर्भ में कहा, ‘आप शायद मेरे कुछ कहे बिना उनमें से एक का पता लगा सकते हैं, जिसके यूक्रेन पर आक्रमण के बाद से पश्चिम के साथ संबंध तेजी से खराब हो गए हैं।‘ संयुक्त राष्ट्र में रूस के राजदूत वासिली नेबेंज़िया ने कहा, ‘मेरा संदेश तुरंत लड़ाई बंद करने और युद्धविराम और सार्थक बातचीत करने का था, जैसा कि सुरक्षा परिषद ने दशकों से कहा था।‘

बैठक में यूएई के राजदूत लाना जकी नुसेबीह ने कहा, ‘मुझे लगता है कि हर कोई समझता है कि आज स्थिति गंभीर चिंता का विषय है।‘ उन्होंने कहा, ‘काउंसिल के कई सदस्यों का मानना ​​है कि दो-राज्य समाधान की ओर ले जाने वाला राजनीतिक क्षितिज ही अंततः इस संघर्ष को हल करने का एकमात्र तरीका है।‘ न तो इज़राइल और न ही वेस्ट बैंक स्थित और हमास के राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी फिलिस्तीनी प्राधिकरण (पीए) ने बैठक में भाग लिया क्योंकि वे वर्तमान में सुरक्षा परिषद में हैं।

फ़िलिस्तीनी राजदूत रियाद मंसूर ने राजनयिकों से इज़रायली कब्ज़ा ख़त्म करने पर ध्यान केंद्रित करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, ‘अफसोस की बात है कि कुछ मीडिया और राजनेताओं के लिए इतिहास तब शुरू होता है जब इजरायली मारे जाते हैं।‘ उन्होंने कहा कि ‘यह इजराइल को अपने भयानक विकल्पों को दोगुना करने देने का समय नहीं है। यह इज़राइल को यह बताने का समय है कि उसे अपना रास्ता बदलने की ज़रूरत है, कि शांति का एक रास्ता है जहाँ न तो फ़िलिस्तीनी मारे जाएँ और न ही इज़राइली।‘

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