मेरठ। स्वामी विवेकानन्द सुभारती विश्वविद्यालय में सनातनी धम्मायोजन कार्यक्रम का भव्य आयोजन किया गया।
बोधि उपवन में सुभारती विश्वविद्यालय के सफाई कर्मी से लेकर शिक्षक, निदेशक एवं न्यासी तक समस्त कर्मचारी अपने अपने घरों से भोजन लाए और एक जगह मिश्रित कर सनातन व्यंजन तैयार किया। इसके बाद एक दूसरे के साथ प्रेम भाव से बैठकर सनातनी व्यंजन को प्रसाद के रूप में ग्रहण किया।
सत्यजीत रे प्रेक्षागृह में कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र प्रचारक श्री महेन्द्र कुमार, सुभारती समूह के संस्थापक डॉ. अतुल कृष्ण, कार्यक्रम अध्यक्ष सुभारती विश्वविद्यालय के कुलपति मेजर जनरल डॉ.जी.के.थपलियाल, इतिहासकार डॉ.किरण सिंह, महाकवि डोरीलाल भास्कर, राष्ट्रीय कवि सौरभ सुमन, वयोवृद्ध समाजसेवी शिब्बन लाल स्नेही, जीटीबी स्कूल मेरठ कैंट के प्रधानाचार्य डॉ.कर्मेन्द्र सिंह, विभाग सह संघ चालक विनोद भारती, एवं भंते विमल बोधि ने दीप प्रज्जवलित कर किया।
इस दौरान सामूहिक वंदे मातरम गायन, सनातन प्रार्थना एवं मंगलाचरण वंदन की गई। सम्पूर्ण कार्यक्रम सनातन भक्ति में लीन हो उठा। सुभारती समूह के संस्थापक डॉ. अतुल कृष्ण ने सनातन प्रस्तावना दी। उन्होंने कहा कि सनातन कोई धर्म नहीं, बल्कि यह तो लौकिक व्यवहार है। उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति प्रेम, करूणा, मैत्री सद्भाव एवं समन्वय में विश्वास रखता है, फिर चाहे वो किसी भी धर्म या पंथ को मानने वाला हो, वह सनातनी कहलाता है।
उन्होंने कहा कि सनातन का पूजा पद्धति से कोई नाता नहीं है, यह तो एक सकारात्मक भाव है, मानव कल्याण हेतु सदा से जीवित है। उन्होंने कहा कि सनातन से ही समाज और हमारा देश सशक्त बनेगा। जिस तरह दुबई देश में हिन्दू मंदिर स्थापित कर वहां के मुसलमानों ने सनातन समन्वय का संदेश दिया है, इसे हमारे देश के मुसलमानों को भी मानना चाहिए। उन्होंने बताया कि सनातन धम्मायोजन द्वारा सनातन की असल और प्रमाणित परिभाषा को देशवासियों से रूबरू कराने हेतु देश के बुद्धिजीवियों को एकत्र किया गया है। आज विशेष रूप से सनातन व्यंजन को ग्रहण करने में सम्मिलित सफाईकर्मी से लेकर शिक्षक, निदेशक एवं न्यासी तक समस्त कर्मचारियों ने एक दूसरे के साथ प्रेम भाव से बैठकर सनातन की मूल परिभाषा को परिभाषित किया है।
मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र प्रचारक महेन्द्र कुमार ने कहा कि कर्तव्यों का पालन करना ही सनातन है। उन्होंने कहा कि सनातन को लेकर जो भ्रांतियां फैली है, उन्हें समाप्त करना चाहिए। सनातनी की पहचान धैर्य, क्षमा, क्रोध न करना, झूठ न बोलना, राष्ट्रीयता जैसे सत्य कर्म सनातन की सीख है। उन्होंने कहा कि सेवा परमो धर्म के सनातन उपदेश को ही धर्म मानकार और कर्म को ही धर्म मानकर सनातन के भाव प्रदर्शित किया जा सकता है। उन्होंने आज की आवश्यकता के बारे में बताया कि जैसे घर में रहकर कर्तव्यों का पालन किया जाता है, उन्हीं कर्तव्यों को अपना धर्म मानना चाहिए। जिसमें पिता धर्म, माता धर्म, पड़ौसी धर्म, समाज व देश हेतु धर्म को कर्तव्य मानकर सकारात्मक भाव से पूर्ण करना चाहिए। उन्होंने कहा की विलासिता, भौतिकता से ऊपर उठकर ही सनातन बनता है। इसी प्रकार अहिंसा परमो धर्म सनातन मान्यता है, जिसे हमें अपने जीवन में आत्मसात करना चाहिए।
इतिहासकार डॉ.किरण सिंह ने कहा कि सनातन हमें अंधकार से प्रकाश की ओर लाता है। उन्होंने कहा कि सुभारती समूह जिस प्रकार देश के महापुरुषों व शहीदों के बलिदान को संजो कर कार्य कर रहा है, यह अत्यंत सराहनीय है। सुभारती से ही सनातन का सवेरा आएगा। उन्होंने सनातनी कविता सुनाकर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।
जीटीबी स्कूल मेरठ कैंट के प्रधानाचार्य डॉ.कर्मेन्द्र सिंह ने कहा कि सनातन का विषय बहुत सारगर्भित है। सनातन को लेकर समाज में भ्रम फैला है। सनातन ने हमेशा सभी को समाहित किया है। सिख कौम सबसे बड़ी सनातनी है। उन्होंने बताया कि अमृतसर में दरबार साहब की नीव एक मुस्लिम संत से रखवाकर गुरूनानक ने सनातन के समन्वय का गौरवशाली उदाहरण प्रस्तुत किया है। उन्होंने सनातन जागृति हेतु सुभारती समूह द्वारा किये जा रहे कार्यो पर कहा कि सुभारती सनातन का संदेश वाहक है।
राष्ट्रीय कवि सौरभ सुमन ने सनातन इतिहास पर आधारित कविता सुनाकर सभी को गौरवान्वित कर दिया। महाकवि डोरीलाल भास्कर ने भी सनातनी कविता सुनाई।
सर्वे भवन्तु सुखिनः मंत्र से कार्यक्रम का समापन हुआ। मंच का संचालन डॉ.प्रदीप राघव ने किया।
इस अवसर पर भाजपा व्यापार प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष विनीत शारदा, चौधरी यशपाल सिंह, असिस्टेंट कमिश्नर पीएफ़ केयर सिंह, एडवोकेट आरपी सिंह, डॉ. एसडी खान, अशोक टकसालिया, आदि उपस्थित रहे।
कार्यक्रम में पराग गुप्ता, अर्चित सम्राट, राजकुमार सागर, वीरपाल सिंह, अनिल अज्ञात आदि का सहयोग रहा।