सिद्धि विनायक समूह के तत्वाधान में आयोजित रामकथा के अन्तिम दिन आज अयोध्याधाम से पधारे देश के विख्यात कथावाचक परमपूज्य संत स्वामी दिलीपदास जी महाराज ने मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम की महिमा का बखान करते हुए कहा कि राम का जीवन हम सबके लिए एक मानक है, जहां से मनुष्य जीवन को आधार मिलना शुरू होता है। राम अनुशासन, चरित्र निर्माण, सत्य, निष्ठा, प्रेम, सदाचार, दान एवं दयालुता के सर्वोच्च स्तम्भ है। ‘राम’ इतना महान शब्द है कि स्वयं प्रभु श्री राम भी उसकी महत्ता का बखान नही कर सकते है। इसे तुलसीदास जी ने ऐसे कहा है कि,
“करहुं कहां लगि नाम बड़ाई|
राम न सकहि नाम गुण गाई” ||
मर्यादा पुरुषोत्तम राम सिर्फ भगवान ही नही है, वो तो मृतप्राय जीव में भी आशा का संचार कर अमरत्व की प्राप्ति के उद्घोषक है। -अन्तिम दिन के मुख्य यजमान/अतिथि वैंकेटेश्वरा विश्वविद्यालय के प्रतिकुलाधिपति एवं अंतरराष्ट्रीय प्रेरक वक्ता डा. राजीव त्यागी ने कहा कि जगत के पालनहार भगवान विष्णु के सातवें अवतार प्रभु श्री राम के आदर्श हर युग में प्रासंगिक है।
प्रभु श्रीराम का जीवन दर्शन दया, धर्म, प्रेम, करुणा, चरित्र निर्माण, सदाचार एवं अनुशासन का सर्वोच्च आधार स्तम्भ है जो हमे जीवन जीने की कला सिखाता है, अगर मनुष्य प्रभु श्रीराम के जीवन दर्शन एवं आदर्शों को एक प्रतिशत भी ‘आत्मसात’ कर ले, तो कलयुग स्वतः ही समाप्त हो जायेगा।
इस अवसर पर सिद्धि विनायक समूह के अध्यक्ष श्रीमान डा. अमित गिरि, सचिव एवं विख्यात इतिहासकार डा. अनीता गोस्वामी, संरक्षक एवं प्रेरणा पुंज श्री शिव कुमार गिरि, श्रीमती कमला देवी, रोहित गुप्ता, संदीप गिरि,अंजू रानी, राजीव कुमार, अमरीश गोस्वामी, मेरठ परिसर निदेशक डा. प्रताप एवं मीडिया प्रभारी विश्वास राणा आदि समेत हजारों की संख्या में रामभक्त उपस्थित रहे।