दिल्ली की हवा में जहर घुला हुआ है। लगातार आठवें दिन भी राजधानी की वायु गुणवत्ता बहुत खराब श्रेणी में दर्ज की गई। आनंद विहार का एक्यूआई 762 दर्ज किया गया जो खतरनाक स्तर का है। वाहनों से होने वाले प्रदूषण और पराली जलाने से दिल्ली की हवा जहरीली हो रही है। अगले छह दिनों तक वायु गुणवत्ता में सुधार की उम्मीद नहीं है।
आंशिक गिरावट के बावजूद बुधवार को लगातार आठवें दिन दिल्ली की वायु गुणवत्ता (Air Quality) ”बहुत खराब” श्रेणी में दर्ज गई। दीवाली से एक दिन पहले 30 अक्टूबर से ही एक्यूआई 300 से ऊपर बना हुआ है। पांच इलाकों का एक्यूआई ”गंभीर” श्रेणी में दर्ज हुआ।
एनसीआर के शहरों में भी स्थिति अधिक बेहतर नहीं है। वायु गुणवत्ता पूर्वानुमान प्रणाली के अनुसार अगले छह दिन तक कमोबेश ऐसी ही वायु गुणवत्ता बनी रह सकती है। आनंद विहार की भी हवा बहुत जहरीली है, जिसका एक्यूआई बुधवार रात को 9 बजे 762 दर्ज किया गया, जो खतरनाक स्तर का है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी, CPCB) द्वारा जारी एयर क्वालिटी (AQI) बुलेटिन के अनुसार बुधवार को राजधानी का औसत एक्यूआई 352 रहा। एक दिन पहले मंगलवार को यह 373, सोमवार को 381 और रविवार को 382 था। कुछ कुछ अंकों की गिरावट के बावजूद समग्र रूप से वायु गुणवत्ता की ”बहुत खराब” श्रेणी ही बरकरार है.
बुधवार को भी दिल्ली में प्रमुख प्रदूषक पीएम 2.5 और पीएम 10 थे। डिसिजन सपोर्ट सिस्टम, आईआईटीएम पुणे के अनुसार बुधवार को दिल्ली के प्रदूषण में वाहनों के उत्सर्जन का सबसे बड़ा योगदान था, जो लगभग 13 प्रतिशत था। यह अनुमान लगाया गया है कि अगले दो दिनों में भी दिल्ली के प्रदूषण में वाहनों का उत्सर्जन सर्वप्रमुख रहेगा। प्रदूषण में इसकी अनुमानित हिस्सेदारी लगभग 10 से 15 प्रतिशत होगी।
परिवहन के अलावा दिल्ली के प्रदूषण में अन्य योगदान पराली का धुआं भी शामिल है। आंकड़ों से पता चलता है कि मंगलवार को दिल्ली के प्रदूषण में पराली के धुएं की हिस्सेदारी 20 प्रतिशत से अधिक रही। मौसम विभाग के मुताबिक बुधवार को स्माग की परत भी देखने को मिली।
बुधवार को दिल्ली की वायु गुणवत्ता देश में तीसरी सबसे खराब स्थिति में रही। सीपीसीबी के आंकड़ों के अनुसार, पूरे भारत में, राजस्थान के हनुमानगढ़ में सबसे खराब वायु गुणवत्ता 396 दर्ज की गई। इसके बाद राजस्थान में ही श्री गंगानगर में 369 दर्ज की गई।