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मेरठ के बहुचचर्चित मलियाना कांड मामले में कोर्ट के द्वारा सुनाए गए फैसले के बाद बीते दिनों 40 आरोपियों को बरी कर दिया गया है। मलियाना नरसंहार मामले में वादी पक्ष के अधिवक्ता से Qnewsindia of ने एक्सक्लुसिव बातचीत की।
पीड़ित पक्ष की तरफ से पैरवी कर रहे एडवोकेट रियासत अली खां कहते हैं कि यह बहुत बड़ी घटना थी अलग अलग कई मुकदमे दर्ज किए गए थे 83 लोगों की जान गई थी। 93 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ था 72 लोगों के खिलाफ चार्जशीट आई। वह बताते हैं कि अकेले मलियाना गांव में ही 72 लोगों की जान दंगे में गई थी। पोस्टमार्टम जो हुआ था वह उस वक्त 83 लोगों का हुआ था क्योंकि मलियाना के अलावा दंगे में मारे गए लोगों की दूसरी भी एफआईआर थी।
सीनियर एडवोकेट रियासत अली खां ने बताया कि कई परिवार तो ऐसे थे जिनके घर के सभी लोग मारे गए , वहीं किसी के मां-बाप दंगे में मारे गए। किसी परिवार के बच्चे चले गए, लोगों को जिंदा जलाया गया , गोलियां मारी गईं। घरों में लूटपाट की गई ,आगजनी हुई हिंसा हुई , लोगों को काटा गया ,मारा गया जो फैसला आया है यह दुःखद फैसला है ।
एडवोकेट रियासत कहते हैं इतनी बड़ी घटना हुई और उसके बावजूद ऐसे लोगों को लेकर जो फैसला आया है वह इसको लेकर अब बड़ी अदालत में जाएंगे ,हाईकोर्ट जाएंगे । उन्होंने कहा कि सभी पीड़ित परिवारों को इंसाफ की दरकार है । उन्हें इंसाफ चाहिए अभी उन्हें लगता है कि कहीं कुछ पैरवी में चूक रही है। शायद ठीक से हम लोग अपनी बात नहीं रख पाए हैं।
वह कहते हैं क्योंकि हमें संविधान ने यह अधिकार दिया है ।अभी रास्ता भी हमारा बंद नहीं होता। तो हम लोग अपील करेंगे उच्च न्यायालय में जाएंगे।
वह कहते हैं कि उन्हें भरोसा है कि वहां से उन्हें न्याय मिलेगा और दोषियों को सजा मिलेगी।रियासत कहते हैं कि अभी कोर्ट के निर्णय की शर्टिफाइड कॉपी भी नहीं मिली है । वह कहते हैं कि हमने कोर्ट में इस फैंसले को लेकर कई सवाल डाले हैं आज हमने कोर्ट से जानकारी चाही है कि एक तो जो उस दौरान घायल लोग थे उनकी जो घायलों की रिपोर्ट थीं उनका ब्यौरा दिया जाए।
दूसरा जिन लोगों के पोस्टमार्टम हुए थे उन लोगों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट हमने मांगी हैं । जिन लोगों के कोर्ट में बयान हुए हैं उनके बयानों की कॉपी भी हमने कोर्ट से मांगी है। ताकि हम उन बयानों को पढ़ने जानने के बाद अब हाईकोर्ट का रुख कर सकें।
मेरठ के हाशिमपुरा नरसंहार मामले में 2018 दिल्ली हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया था सभी 16 आरोपी पीएसी के जवानों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। 1987 में मलियाना में हुई घटना से ठीक एक दिन पहले हाशिमपुरा में पीएसी के जवानों ने 42 लोगों की हत्या की थी। बाद में यह मामला जब कोर्ट गया तो साभि बड़ी हुए थे। लेकिन और आरोपों से बरी होने के बाद निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी गई थी। बाद में 16 आरोपी उम्रकैद की सजा पाए थे जो कि अभी भी जेलों में ही हैं।
मलियाना कांड में पीड़ित पक्ष की ओर से पैरवी कर रहे रियासत ने बताया कि हम आगे जांएगे और पहले भी ऐसा हुआ है । उन्होंने बताया कुछ ऐसा ही फैसला इससे पूर्व हाशिमपुरा कांड में भी आया था। हाशिमपुरा में एक दिन पहले यानी 22 मई 1987 को दंगा हुआ था कत्लेआम हुआ था। वह बताते हैं कि तब निचली अदालत में हिंसा के आरोपियों को बरी कर दिया गया था , लेकिन बाद में पीड़ित पक्ष इस मामले को लेकर हाईकोर्ट गया और वहां फैसला उनके पक्ष में आया था तब दोषियों को सजा मिली थी जो कि आज भी दिल्ली में जेल में उम्र कैद की सजा काट रहे हैं।
एडवोकेट रियासत अली खां कहते हैं कि इस मामले में 1987 से ही सीनियर अधिवक्ता अलाउद्दीन पैरवी करते आ रहे हैं । वही वह भी काफी वर्षों से इस मामले में पीड़ित पक्ष की तरफ से पैरवी कर रहे हैं । कई ऐसे अधिवक्ता है जो मलियाना कांड के दोषियों को सजा दिलाने के लिए साथ हैं।वहीं खास बात यह है कि एडवोकेट रियासत अली खुद भी मलियाना के ही रहने वाले हैं।
उन्होंने कहा कि इस मामले में सरकार की तरफ से काफी कमजोर पैरवी की गई है उसी का खमियाजा उन्हें यहा पोड़ितों को और पीड़ितों के परिवारों भुगतना पड़ा है। काश अगर सरकार की तरफ से मजबूत पैरवी हुई होती यह फैंसला उलट भी हो सकता था।
उन्होंने कहा कि पूर्व विश्वास है कि हाईकार्ट में जब इस मामले को लेकर जाएंगे तो जिस तरह से हाशिमपुरा कांड के दोषियों को सजा हुई थी, उसी तरह से इस मामले में भी हाईकोर्ट से आरोपियों को सजा मिलेगी।
शाहनवाज खान की रिपोर्ट