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स्वास्थ्य

मेरठ : कुपोषण की रोकथाम के लिए शुरू हुआ ‘संभव 3.0’

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मेरठ न्यूज़। बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग द्वारा अति कुपोषित यानी सीवियर एक्यूट मालन्यूट्रीशन (सैम) एवं कुपोषित यानी मॉडरेट एक्यूट मालन्यूट्रीशन (मैम) से ग्रसित बच्चों के सुपोषण के लिए मेरठ समेत पूरे प्रदेश भर में सभंव 3.0 अभियान शुरू किया गया है। गर्भवती और शिशु स्वास्थ्य की बेहतरी के लिए यह अभियान चार माह तक चलेगा। अभियान के तहत समस्त विकास खंडों में 30 सितंबर तक अभियान के दौरान पोषण व स्वास्थ्य से जुड़ी विभिन्न गतिविधियां आयोजित की जाएंगी।

जिला कार्यक्रम अधिकारी (डीपीओ) विनीत कुमार सिंह ने बताया – वर्ष – 2021 में  “संभव -़.0” अभियान एक नवाचार के रूप में प्रारंभ किया गया था, जिसमें विशेष रूप से सैम और मैम बच्चों का सही चिह्नांकन, उपचार, व सामुदायिक स्तर पर उनके प्रबंधन के साथ कुपोषण की रोकथाम के लिए व्यवहार परिवर्तन पर जोर दिया गया था। इस बार “संभव-3.0” चलाया जा रहा है। जिसके तहत आंगनबाड़ी कार्यकर्ता पहली तिमाही की गर्भवती का वजन व ऊंचाई मापेंगी। अगर वजन 45 किलोग्राम से कम है और ऊंचाई 145 सेमी से कम है, उस स्थिति में गर्भवती महिला कुपोषित मानी जाएगी। यदि उस महिला के एमसीपी कार्ड में हिमोग्लोबिन 11 ग्राम से कम है तो एनीमिक में चिन्हित किया जाएगा और फिर चिकित्सकीय प्रबंधन की व्यवस्था की जाएगी।

डीपीओ ने बताया – दो पिछले वर्षों के अभियान की सफलता व परिणाम के आधार पर जून से  सितंबर तक ‘सम्भव 3.0’ अभियान चलाया जाएगा। अभियान के तहत  बच्चों की नाम वार सूची गांव की आशा, एएनएम, ग्राम प्रधान व संबंधित कन्वर्जेंस विभागों के साथ साझा करेंगी। ऐसे  बच्चों को स्वास्थ्य जांच के लिए ग्राम स्वास्थ्य, स्वच्छता एवं पोषण दिवस (वीएचएसएनडी) पर लेकर आएंगी। जो बच्चे गंभीर होंगे, उन्हें पोषण पुनर्वास केंद्र अथवा ब्लॉक चिकित्सा इकाई पर भेजा जाएगा।

जिला कार्यक्रम अधिकारी ने बताया कि इस अभियान को तीन मुख्य मासिक थीम एवं साप्ताहिक थीम के रूप में विभाजित किया गया है। जून माह में गर्भवती और शिशु की जांच की जाएगी, सैम मैम बच्चों का चिन्हांकन किया जाएगा। जुलाई को स्तनपान प्रोत्साहन माह के रूप में मनाया जाएगा, जिसके अंतर्गत प्रत्येक सप्ताह स्तनपान से जुड़ी जन जागरूक गतिविधियां की जाएंगी। अगस्त को ऊपरी आहार माह के रूप में मनाया जाएगा। प्रत्येक सप्ताह ऊपरी और अर्ध ठोस आहार के बारे में जागरूक किया जाएगा।

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पोषण चौपाल का होगा आयोजन 

अगस्त में ही पोषण चौपाल का आयोजन किया जाएगा। इसके साथ ही सितंबर को पोषण माह के रूप में मनाया जाएगा, जिसमें हर सप्ताह पोषण, स्वास्थ्य, स्वच्छता व शिक्षा से जुड़ी गतिविधियां आयोजित की जाएंगी। सुपोषण दिवस का पोषण उत्सव व पोषण पंचायत का आयोजन होगा। अभियान की मासिक थीम पर विषय-विशेषज्ञों द्वारा आवश्यक परामर्श के लिए ‘पोषण पाठशाला’ का आयोजन भी किया जाएगा। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका मासिक थीम के आधार पर गृह भ्रमण कर समुदाय को जागरूक करेंगी।

संभव अभियान के दौरान जिलावार सीएसआर ,गैर सरकारी संगठनों और अन्य संगठनों जो पोषण संबधित गतिविधियां जैसे बाल, किशोरी और महिला पोषण ,आंगनबाड़ी का सौदर्यीकरण, पोषण वाटिका, के निर्माण आदि में निवेश करने के इच्छुक है। उन संगठनों को सूचीबद्ध कराया जाएगा। इसके लिए जिलाधिकारी व सीडीओ के नेतृत्व में पोषण फोरम बनाया जाएगा।

आईसीडीएस विभाग को बनाया नोडल

आईसीडीएस विभाग को इस अभियान का नोडल विभाग बनाया गया है। अभियान के सफलतापूर्वक संचालन में स्वास्थ्य विभाग, पंचायती राज विभाग, ग्राम्य विकास विभाग (मनरेगा व आजीविका मिशन), शिक्षा, खाद्य एवं रसद, पशुपालन, उद्यान एवं आयुष विभाग के साथ संस्थाएं भी समन्वयक स्थापित कर सहयोग करेंगी। इसमें स्वास्थ्य विभाग कुपोषित बच्चों की वीएचएनडी के माध्यम से जांच व आवश्यकतानुसार उपकेंद्र या एनआरसी भेजना सुनिश्चित करेंगे।

गर्भवती की प्रसव पूर्व जांच के साथ आयरन फोलिक एसिड, कैल्शियम एवं एल्बेंडाजोल की गोलियों का वितरण सुनिश्चित करेंगी। वहीं शिक्षा विभाग हर माह स्कूलों में पोषण परामर्श सत्र का आयोजन करेंगे। छात्र-छात्राओं को साप्ताहिक आयरन और छमाही एल्बेंडाजोल गोली खिलाएंगे।

स्वास्थ्य

अंतरराष्ट्रीय दिव्यांगजन सशक्तिकरण दिवस का आयोजन

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मेरठ।  प्राथमिक विद्यालय पुलिस लाइन गेट नंबर 4 मेरठ नगर के प्रांगण में अंतरराष्ट्रीय दिव्यांगजन सशक्तिकरण दिवस का आयोजन किया गया।

कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि  ऊर्जा मंत्री  सोमेंद्र तोमर द्वारा मां सरस्वती की प्रतिमा पर दीप प्रचलित कर किया गया। कार्यक्रम में विशेष अतिथि में मुख्य विकास अधिकारी महोदय मेरठ सुश्री नूपुर गोयल का स्वागत बुके देकर तथा मोमेंटो को देखकर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी आशा चौधरी द्वारा किया गया। कार्यक्रम के अंतर्गत परिषदीय विद्यालयों में अध्ययनरत मेरठ जनपद के दिव्यांग बच्चों को खेलकूद जिसमें रस्साकसी, कुर्सी दौड़, 50 मीटर दौड़, गायन, चित्रकला, छूकर पहचानो आदि प्रतियोगिताओं का आयोजन कर विजेता रहे प्रतिभागियों को गणमान्य द्वारा पुरस्कृत किया गया। मंत्री  द्वारा अपने उद्बोधन में दिव्यांग बच्चों को शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़े जाने वह उनके चौमुखी विकास के उद्देश्यों की पूर्ति हेतु विभाग द्वारा किए जा रहे कार्यों की भूरि-भूरि प्रशंसा की गई और दिव्यांग बच्चों को शुभकामनाएं प्रदान की गई। मुख्य विकास अधिकारी  द्वारा दिव्यांग बच्चों को होम पेज किट, लो विजन किट, ब्रेल किट, हियरिंग एड, ट्राई साइकिल, व्हीलचेयर, कैलिपर्स प्रदान किया गया। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी महोदया द्वारा मुख्य अतिथियों एवं गणमान्य का कार्यक्रम में उपस्थित होने हेतु आभार व्यक्त किया गया एवं बच्चों एवं उनके अभिभावकों को शिक्षा की मुख्य धारा से जुड़े रहने का आह्वान किया गया। जिला समन्वयक समे० शि० हरेंद्र शर्मा  द्वारा कार्यक्रम का संचालन किया गया एवं मंच संचालन श्रीमती नीलम द्वारा किया गया। कार्यक्रम में सभी विकास खंडों के खंड शिक्षा अधिकारी, सभी जिला समन्वयक, प्रधानाध्यापक एवं सहायक अध्यापक उपस्थित रहे। कार्यक्रम को सफल बनाने में समस्त विशेष अध्यापक एवं फिजियोथैरेपिस्ट समे०शि०, मेरठ का विशेष सहयोग रहा।

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बदलते परिवेश में योग, आध्यात्म, संतुलित आहार, शांति एवं नींद/ विश्राम का महत्व पर एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी

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मेरठ। राष्ट्रीय राजमार्ग बाईपास स्थित  वेंकटेश्वर संस्थान के लिए आज का दिन बेहद खास रहा। वेंकटेश्वरा समूह के अध्यक्ष डॉक्टर सुधीर गिरी के विशेष निमंत्रण पर युगांडा में भारत के राजदूत वरिष्ठ आईएफएस अधिकारी श्री यू एस रावत ने तेजी से बदलते परिवेश में संतुलित खान-योग आध्यात्म शांति एवं नींद का महत्व विषय पर एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय व्याख्यान दिया। उन्होंने बताया कि किस तरह आज भारत की समृद्ध ऐतिहासिक विरासत योग एवं आध्यात्म को पाश्चात्य देशों ने तो पूरी तरह से आत्मसात कर लिया है, जबकि हम अपनी ऐतिहासिक विरासत से विमुख होते जा रहे हैं। यह स्वस्थ जीवन शैली के लिए एक बड़ा खतरा होने के साथ-साथ राष्ट्र विकास को भी अवरुद्ध करता है।

श्री वेंकटेश्वरा विश्वविद्यालय/ संस्थान के डॉक्टर सी सी रमन सभागार में तेजी से बदलते परिवेश में योग आध्यात्मिक संतुलित आहार शांति एवं नींद का महत्व विषय पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का शुभारंभ समूह अध्यक्ष डॉक्टर सुधीर गिरी, युगांडा में भारत के राजदूत/ हाई कमिश्नर श्री यू एस रावत, प्रधान सलाहकार प्रोफेसर वीपीएस अरोड़ा, प्रतिकूलाधिपति डॉ राजीव त्यागी, कमांडेंट श्री डीएस रावत आदि ने सरस्वती मां की प्रतिमा के सम्मुख दीप प्रज्वलित करके किया।

अपने संबोधन में मुख्य अतिथि/ वक्ता युगांडा में भारत के राजदूत श्री यू एस रावत ने कहा कि आज पूरा विश्व अच्छी शिक्षा, स्वास्थ्य, योग, आध्यात्म एवं वैश्विक मुद्दों पर भारत को “फॉलो” कर रहा है, लेकिन हमारे युवा पीढ़ी पाश्चात्य चमक दमक से दुष्प्रभावित होकर अनियमित दिनचर्या, जंक फूड और नशाखोरी की जकड़ में पड़ती जा रही है, यह किसी भी राष्ट्र के विकास के लिए शुभ संकेत नहीं है। योग, आध्यात्म, संतुलित आहार, शांति एवं अच्छी नींद यह स्वस्थ एवं सुखी जीवन के पांच तत्व हैं, इन्हें अपनाकर ही भारत विश्व गुरु बनने की राह पर चल पड़ा है।

वेंकटेश्वरा समूह के अध्यक्ष डॉ सुधीर गिरि ने कहा कि भारत की समृद्ध विरासत योग एवं आध्यात्म के बल पर युवा पीढ़ी के हॉलिस्टिक डेवलपमेंट से आज भारत दुनिया का सिरमौर है, सरताज है।  उन्होंने सभी युवाओं से पाशश्चात जीवन शैली को पूरी तरह छोड़कर ऊपर दिए गए पांच तत्व अपने की अपील की। अंतरराष्ट्रीय सेमिनार को प्रतिकुलाधिपति डॉ राजीव त्यागी एवं दिल्ली कमांडेंट  डीएस रावत ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर सीईओ अजय श्रीवास्तव, कुलपति डॉ राकेश यादव, कुलसचिव पीयूष पांडे, डॉ लक्ष्मण सिंह रावत, डॉ दिव्या गिरधर, डॉ राजेश सिंह, डॉ योगेश्वर शर्मा, डॉ अनिल जायसवाल, डॉ एस एन साहू, मेरठ परिसर निर्देशक डॉ प्रताप सिंह, अरुण गोस्वामी, डॉ दिनेश सिंह, सुनील कुमार भगवानिया, मारूफ चौधरी, मीडिया प्रभारी विश्वास राणा आदि लोग उपस्थित रहे। कार्यक्रम का शानदार संचालन आशी नायर ने किया।

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स्वास्थ्य

कैंसर, लीवर फेल, किडनी फेल और थैलेसीमिया का इलाज आयुर्वेद से संभव,” कहा आचार्य मनीष और डॉ. बीआरसी ने ‘द सर्कैडियन डॉक्टर’ पुस्तक के लॉन्च कार्यक्रम में।

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मेरठ : सिरी फोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली में एक महत्वपूर्ण सभा में, हिम्स  के संस्थापक, प्रसिद्ध आचार्य मनीष ने आयुर्वेद की अविश्वसनीय उपचार क्षमता में परिवर्तनकारी अंतर्दृष्टि साझा की। शंकाओं को दूर करते हुए और आशा जगाते हुए, आचार्य मनीष ने कैंसर, लीवर फेल, किडनी फेल और थैलेसीमिया जैसी जटिल बीमारियों के इलाज में आयुर्वेद की प्रभावशीलता पर जोर दिया। उनके भावपूर्ण प्रवचन ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने प्राचीन ज्ञान पर प्रकाश डाला जो समग्र उपचार का मार्ग प्रशस्त करता है।

शाम की गूंज को बढ़ाते हुए, डॉ. बिस्वरूप रॉय चौधरी, जिन्हें डॉ. बीआरसी के नाम से भी जाना जाता है, ने अपनी अभूतपूर्व पुस्तक ‘द सर्कैडियन डॉक्टर’ का अनावरण किया, जो लोगो के कल्याण के लिए एक क्रांतिकारी दृष्टिकोण पेश करती है। सिरी फोर्ट ऑडिटोरियम में इस सहक्रियात्मक कार्यक्रम ने न केवल आयुर्वेद की जीत का जश्न मनाया, बल्कि स्वास्थ्य और जीवन शक्ति के लिए वैकल्पिक रास्ते तलाशने वालों के लिए आशा की किरण भी दिखाई। इसके साथ ही, आयोजन स्थल पर आपातकालीन स्थिति और दर्द प्रबंधन के लिए वासो-स्टिम्यूलेशन थेरेपी भी शुरू की गई।

कार्यक्रम में, डॉक्टरों और मरीजों ने किडनी, कैंसर, लीवर, शुगर, बीपी और हृदय रोगों को उलटने में हिम्स  की सफलता की पुष्टि की। व्यक्तियों को अपना डॉक्टर बनाने की दृष्टि से प्रेरित, हिम्स  में आचार्य मनीष और उनकी टीम ने बीमारियों से लड़ने के लिए शरीर की आंतरिक शक्ति बढ़ाने पर जोर दिया।

द सर्कैडियन डॉक्टर के बारे में बात करते हुए, डॉ. बीआरसी ने कहा, “द सर्कैडियन डॉक्टर सिर्फ एक किताब नहीं है; यह हमारे स्वास्थ्य के प्रति दृष्टिकोण में एक आदर्श बदलाव है। हमारे शरीर की प्राकृतिक लय को समझने और उसके साथ तालमेल बिठाकर, हम पुरानी बीमारियों को रोकने और उलटने के लिए खुद को सशक्त बनाते हैं। ”

“द सर्कैडियन डॉक्टर” सर्कैडियन रिदम की समझ पर प्रकाश डालता है, जो स्वास्थ्य को नियंत्रित करने वाली एक समयबद्ध मानवीय घटना है। डॉ. बीआरसी ने इस बात पर जोर दिया कि सर्कैडियन क्लॉक को सही करना पुरानी और जीवनशैली से संबंधित बीमारियों को रोकने और उलटने में महत्वपूर्ण हो सकता है।

समग्र स्वास्थ्य के बारे में बात करते हुए, आचार्य मनीष ने कहा, “हिम्स आयुर्वेद में, हम शरीर की जन्मजात उपचार शक्ति में विश्वास करते हैं। हमारा एकीकृत दृष्टिकोण, प्राचीन आयुर्वेदिक ज्ञान को आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों के साथ जोड़कर, विभिन्न प्रकार की बीमारियों के इलाज में सफल साबित हुआ है, जो आशा प्रदान करता है।”

आयुर्वेद को बढ़ावा देने के अपने अथक प्रयासों में, आचार्य मनीष ने समग्र स्वास्थ्य देखभाल समाधान चाहने वाले रोगियों के लिए हिम्स  को आशा की किरण के रूप में सामने लाया है। हिम्स  बहु-विषयक दृष्टिकोण का उपयोग करके बीमारियों का इलाज करता है, जिसमें आयुर्वेद, एलोपैथी, यूनानी, प्राकृतिक चिकित्सा, होम्योपैथी और बहुत कुछ शामिल है। मरीज़ों की देखभाल के प्रति अस्पताल की प्रतिबद्धता उन व्यक्तियों की सफलता की कहानियों में स्पष्ट है, जिन्होंने किडनी फेल, लिवर विफलता, थैलेसीमिया और कैंसर जैसी स्थितियों से उबरने का अनुभव किया है। हिम्स  केंद्र भारत के कई अन्य शहरों जैसे डेराबस्सी, चंडीगढ़, लखनऊ, नवी मुंबई, ठाणे, संगरूर, भागलपुर, गुरुग्राम, लुधियाना, अमृतसर, जालंधर, दिल्ली और गोवा में भी स्थापित किए गए हैं। पूरे देश में 200 से अधिक विशेषज्ञ डॉक्टर इन केंद्रों में अपनी सेवाएं प्रदान कर रहे हैं।

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