बंग्लादेश में हुए तख्ता पलट के बाद अल्पसंख्यको पर हो रहे हमलों के मुद्दों पर आज विश्व हिंदू परिषद के पदाधिकारियों ने मेरठ के सर्किट हाउस में पत्रकार वार्ता की। वही पदाधिकारी राजकुमार डूंगर ने कहा कि जिस तरह बांग्लादेश में हिन्दू विरोधी ताकते अपना जन्म ले रही है और बहन बेटियों की अस्मत के साथ दरिंदगी की गई। उसका हम सभी पदाधिकारी विरोध करते है और सरकार से मांग करते है कि इस मुद्दे को गहनता से लेकर अल्पसंख्यको की सुरक्षा को लेकर बात करे और लोगो को वहां सुरक्षित रखने का समाधान पर चर्चा हो।
मेरठ के सर्किट हाउस में हुई विश्व हिन्दू परिषद की पत्रकार वार्ता की गई। इस पत्रकार वार्ता में विश्व हिंदू परिषद के प्रांत मंत्री ने कहा कि बंग्लादेश में पिछले कई दिनों से हिंदू अल्पसंख्यक के धार्मिक स्थलों व्यावसायिक थानों और घरों को नुकसान पहुंचाया जा रहा है।
पूरे बंग्लादेश में हर जगह आतंक की आतंक फैला हुआ है। उन्होंने कहा कि हिन्दू समाज आतंक का निशाना बना हुआ है उन्होंने कहा समय-समय पर निरंतर अंतराल पर होने वाले ऐसे दंगों का परिणाम है कि बांग्लादेश में हिंदू जो विभाजन के समय 32% थे अब 8 में से भी कम बचे हैं और वह भी लगातार ज्यादा उत्पीड़न के शिकार हो रहे हैं। प्रांत मंत्री ने कहा कि बांग्लादेश में हिंदुओं के घर मकान दुकान ऑफिस व्यवसाय प्रस्थान में महिला बच्चे वह उनके पास था और विश्वास के केंद्र मंदिर तक सुरक्षित नहीं है वहां पीड़ित अल्पसंख्यक हिंदुओं की हालत बस से बेहतर होती जा रही है यह स्थिति अत्यंत चिंताजनक है उन्होंने कहा कि विश्व समुदाय की यह जिम्मेदारी है कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा व उनके मानव अधिकारों की सुरक्षा के लिए प्रभावी उचित कार्यवाही करें।
राजकुमार डूंगर ने कहा कि निश्चय ही भारत सरकार भारत में परंपरा से ही विश्व भर के उत्पन्न स्थितियों की सहायता की है विश्व हिंदू परिषद ने भारत सरकार से यह आग्रह किया है कि बांग्लादेशी में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए हर संभव कदम उठाए विकट परिस्थितियों का लाभ उठाकर यादव द्वारा सीमा पार से घुसपैठ का एक बड़ा प्रश्न चिन्ह बना हुआ है इसमें इससे सतर्क रहना होगा इसलिए हमारे सुरक्षा बलों के लिए आवश्यक है की सीमा पर कड़ी चौकसी बरते और किसी भी तरह के अतिक्रमण को न होने दे। उन्होंने कहा कि में ईश्वर से कामना करता हु कि बांग्लादेश में शत प्रतिशत लोकतंत्र सरकार पूर्ण स्थापित हो वहां के अल्पसंख्यक समाज के समाज को मानवाधिकार मिले और बांग्लादेश के निरंतर हो रही आर्थिक प्रगति में भागीदारी हो। ओर बंग्लादेश में माहौल सामान्य हो।