मेरठ। आई.सी.एस.एस.आर. द्वारा प्रायोजित एवं चौ. चरण सिंह वि वि मेरठ के अर्थशास्त्र विभाग द्वारा आयोजित दो सप्ताह के क्षमता संवर्द्धन कार्यक्रम के दूसरे दिन तीन तकनीकी सत्र आयोजन किया गया। प्रथम तकनीकी सत्र में प्रो. आलोक कुमार समाजशास्त्र विभाग, चौधरी चरण सिंह विवि ने प्रतिभागियों को डाटा एकत्रीकरण, डाटा एकत्रीकरण के विभिन्न तरीके, प्राप्त परिणामों आदि पर प्रकाश डालते हुए शोध के विभिन्न चरणों को बताया। उन्होंने मानवीय व्यवहार की मूलभूत विशेषताओं को बताते हुए कहा कि मानवीय व्यवहार अति संवेदनशील होता है। उन्होंने दिखना, प्रतीत होना एवं निरीक्षण में होने वाले भेदों को भी बताया। उन्होंने कहा कि एक सामाजिक अनुसंधानकर्ता के लिए सही तथ्यों का पता लगाना अत्यंत कठिन कार्य होता है। सही तथ्यों का पता कैसे लगाया जाए, इसके लिए उन्होंने विभिन्न शोध विधियों को समझाया। उन्होंने कहा कि यदि हम किसी समुदाय के व्यवहार का अध्ययन करना चाहते है तो इसके लिए आवश्यक है कि उस समुदाय के बीच जाया जाए अर्थात पार्टिसिपेटिव एप्रोच को अपनाया जाए। सहभागी दृष्टिकोण के साथ-साथ उन्होंने नान-पार्टिसिपेटिव एप्रोच के सन्दर्भ में भी बताया। अंत में उन्होंने कहा कि बिना पूर्वाग्रह के साथ निष्पक्ष शोध ही सामाजिक शोध है। दूसरा तकनीकी सत्र सभी प्रतिभागियों द्वार आपसी परिचय को समर्पित था। विवि के 1988, 1995, 1999 तथा इसके पश्चात विभिन्न विषयों में पढ़े पुरातन छात्र जो आज देश के विभिन्न विवि एवं महाविद्यालयों में सेवारत है और इस कार्यक्रम में प्रतिभागी है, ने अपनी स्मृति को ताजा करते हुए एक-दूसरे को परिचय दिया। प्रतिभागियों में मुख्य रूप से प्रो. सुधीर शर्मा, पीलीभीत, डॉ. उपासना शर्मा, हल्द्वानी, डॉ. अनु त्यागी, जौनपुर, डॉ. मनीया रावत, राजस्थान तथा अन्य सभी प्रतिभागियों ने शोध पर अपनी समझ को साझा किया।
तीसरे, तकनीकी सत्र में प्रो. विघ्नेश त्यागी, इतिहास विभाग ने सभी प्रतिभागियों को शोध सम्बन्धी ना सिर्फ ऐतिहासिक संदेश दिया बल्कि इतिहास के विभिन्न आयामों की दृष्टि से सामाजिक विज्ञान में शोध की विभिन्न विधियों पर विस्तृत चर्चा करते हुए मुख्य रूप से स्वामी विवेकानन्द एवं सामाजिक शोध पर अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानन्द ना सिर्फ सामाजिक शोध के प्रणेता कहे जा सकते है बल्कि उन पर वास्तविक शोध किया जाना आज भी शेष है।उन्होंने कहा कि हमें शोधों में भारतीय पक्ष था दृष्टिकोण प्रमुखता से रखना होगा, उन्होंने प्रश्नोत्तरी के माध्यम से प्रतिभागियों की जिज्ञासाओं को शांत किया। कार्यक्रम के अंत में कार्यक्रम समन्वयक प्रो. दिनेश कुमार ने वक्ताओं का धन्यवाद ज्ञापित किया।