इसे सितमज़रिफी ही कहा जाएगा जहां सरकार , सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों को बेहतर शिक्षा व्यवस्था मुहैया कराने का दावा कर रही है । सरकारी दावा है कि धरातल पर चीज पहले के मुकाबले पलट चुकी हैं और अब सरकारी स्कूलों का रुख करने वाले छात्र बेहतर माहौल में शिक्षा दीक्षा हासिल कर रहे हैं , जहां छात्रों को सभी सुविधाएं मुहैया कराई जा रही है लेकिन धरातल पर ये महज़ दावे ही बनते नजर आ रहे हैं और उसके जिम्मेदार वो अफसरान हैं जिन्हें सरकार ने बेहतर सुविधा मुहैय्या कराने के लिए जिम्मेदारी सौंपी । जिन अफसरान को सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों को कक्षाएं बना कर देनी है वो शायद इस बात को भूल गए हैं । तभी तो सरकारी स्कूल के छात्र जमीन पर बैठकर पढ़ाई कर रहे हैं और सरकार के दावों की कलई खोल रहे हैं ।
ये तस्वीरें हैं मेरठ के एक सरकारी स्कूल की जहां जमीन पर बैठकर पढ़ रहे ये बच्चे आने वाले कल का भविष्य है । इन छात्रों को क्लासरूम में बैठकर पढ़ना है जिसके लिए सरकार ने क्लास रूम बनाने का आदेश भी दिया लेकिन सालों का वक़्त बीतने के बाद भी वो क्लासरूम बनकर तैयार नहीं हुए हैं । ये वही क्लासरूम है जिन्हें सरकार के आदेशों के बाद तैयार किया जाना था और इसका ज़िम्मा सौंपा गया है अल्पसंख्यक विभाग को । अल्पसंख्यक विभाग इन क्लास रूम को तैयार कर शिक्षा विभाग को सौंपेगा और इन सरकारी स्कूलों में पढ़ने के लिए ये छात्र आएंगे जोकि क्लासरूम में बैठकर पढ़ाई करेंगे । लेकिन सालों का वक़्त बीतने के बाद भी क्लासरूम तैयार नहीं हो पाए हैं जिससे साफ जाहिर है कि सरकार के आदेश को अफसरान कितनी गंभीरता से लेते हैं । ये नज़ारा है कि उन क्लासरूम का जोकि अल्पसंख्यक विभाग के द्वारा करीब 5 पहले बनाने शुरू किए गए और तय समय सीमा में इन क्लासरूम को बनकर तैयार भी होना था लेकिन आज यहाँ जंगल बन चुका है और क्लासरूम के नाम पर बिना छत के महज़ 4 दीवारें खड़ी कर दी गईं हैं जोकि अब घास और पेड़ पौधों से पटकर जंगल में तब्दील हो चुकी हैं ।
तस्वीरों में दिखाई दे रही ये महिला कोई आम महिला नहीं है । ये मोहतरमा है मेरठ की जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी जिनका नाम है आशा चौधरी और इनके ऊपर जिम्मेदारी है जिले के बच्चों को बेहतर शिक्षा व्यवस्था देने की जिसका वादा सरकार ने किया लेकिन लगता है कि शायद बेसिक शिक्षा अधिकारी महोदया इस बात को भूल गई है तभी तो सालों का वक़्त बीतने के बाद भी सरकारी स्कूल के क्लासरूम तैयार नहीं हुए और इस मुद्दे पर बीएसए साहिब क्या कुछ कह रही हैं आप खुद ही सुन लीजिए ।
वही अल्पसंख्यक विभाग के द्वारा तैयार किए जाने वाले सरकारी स्कूल की क्लासरूम का काम रुका हुआ है । इस मुद्दे पर जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी रुहेल आजम का कहना है कि विभाग के आदेशों के बाद क्लासरूम बनाने का ठेका वक़्फ़ विकास निगम को दे दिया गया था और इस निर्माण कार्य के दौरान में कमियां मिली थी जिसकी वजह से ये निर्माण रुक गया था । अब दोबारा विभाग को पत्र लिखा गया है और जल्द ही निर्माण के लिए दूसरी क़िस्त जारी की जाएगी और आगामी 2 महीनों मे निर्माण कार्य पूरा कराया जाएगा और इन्हें शिक्षा विभाग को सौंप दिया जाएगा ।
बहरहाल , दो विभागों की लापरवाही का खामियाजा ये छात्र भुगत रहे हैं जोकि सरकारी स्कूल में बेहतर सुविधाओं के साथ शिक्षा हासिल करने के लिए पहुंचे थे । वो बेहतर सुविधाएं जिन्हें देने का वादा सरकार ने तो किया लेकिन धरातल पर वो महज़ दावे ही बनकर रह गए और धरातल पर कोई काम नजर नहीं आ रहा है ।
अब देखना ये होगा कि आखिर सरकारी स्कूल की ज़मीन पर बैठकर शिक्षा हासिल कर रहे इन छात्रों का क्लासरूम कब तक बनकर तैयार होते हैं जिनमें बैठकर ये छात्र उन सुविधाओं को हासिल कर सकेंगे जोकि सरकार इन्हें देने का दावा कर रही है ।
बाइट :- आशा चौधरी ( ज़िला बेसिक शिक्षा अधिकारी , मेरठ )
बाइट :- रुहेल आज़म ( ज़िला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी , मेरठ )